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पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१७७

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श्री हर्ष


इसके न रक्त युएनत्सक ने गंगा के उस पार कई प्रदेश गिन ए हैं यथा परित्रय ( अलवर ) श्रुम ( कदाचित् हरिह) मतिपुर और ब्रह्मपुर (गढ़वाल) अहिछत्र, पिल मन, शंकप्य, अयोध्या, अल्हाबाद, और कौशाम्ब. त्यादि । इन सब पर हर्षका प्रभुत्ल पूर्ण रूप से थ .


हिमालतई में श्रावस्ति, कपिलवस्तु राम- ग्राम, कुशीनगर इत्यादि छोटे छोटे राज्यों के सरदार हर्ष का लोहा मन। थे।


इसके बाद एनत्सन मगध का वर्णन करता है। पूर्व काल में ही पूर्णवर्मा नामक राजा राज्य करता था । कर्ण नुवर्ग के शशाङ्कगुप्त ने वहां के बोधि वृक्ष को नष्ट कर दिया था, पूर्णवर्मा ने फिर स उस स्थापित किया । नाध बौद्धधर्म का केंद्र स्थान था। इसी नगर में ही बोधिवृक्ष तथा बुद्धदेव के पादचिह्न वाला पत्थर था। बौद्धधर्म का प्रसिद्ध नालन्द मठ भी यहीं था। मगध से परे हिरण्यपर्वत अथवा मौंघेर,