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श्री हर्ष


बसाया था, हर्ष के पिता पितामहों ने गङ्गा के पश्चिम में थाणेश्वर को बढ़ाया था । हर्ष के कन्नौज को महत्व देने से पाटलिपुत्र फीका पड़ गया।


मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त ने पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया था। अशोक ने उसे ही राजधानी रक्खा और फिर उसके बाद सब राजाओं ने उसका अनुकरण किया परन्तु जब गुप्त राजाओं ने अयोध्या अपनी राजधानी बनाई तो पाटलिपुत्र घटन लगा और हर्ष के काल में तो वह ८०० वर्ष में ( अर्थात इ. स. ३०० की पूर्व से ५०० तक में ) नष्ट प्रायः ही हो गया। इस समय दिलं एक छोटासा ग्राम था, पाण्डवों के काल में कुछ महत्व भेग कर फिर वह गिर गया । इ. स. की नवनीं शताब्दि में अनङ्गपालने फिर उसे महत्व दिया, और जब बारहवीं शताब्दि में पृथ्वीराज ने जय चन्द्र पर विजय लाभ की तब उस (दिल्ली ) का महत्व कन्नौज से भी बढ़ गया । मुसलमानों ने पृथ्वीराज को जीत दिल्ली ही अपनी राजधानी बनाई, तो तब से आज तक वह नगर उन्नति पर ही है।