सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६७
श्री हर्ष

उत्तर भारत का विस्तार दक्षिण में ओद्र ( ओ- रिस्सा) और कोगंड ( गंजम ) तक है। यहां किसका राज्य था यह स्यएनत्सङ्ग ने नहीं लिखा । अन्य साधनों से पता लगाना कठिन है; परन्तु कटक के जगन्नाथ के मन्दिर से प्राप्त ताड़पत्रों से ऐसा मालूम हुआ है कि इ० स० की सातवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक वहां केसरी वंश के राजा राज्य करते थे। नैपाल का राज्य इस समय तिब्बत के आधीन था और यहां हर्ष का आधिपत्य था या नहीं यह सन्दिग्ध रह जाता है। दक्षिण में हर्ष के प्रतिस्पर्धी प्रवरसेन द्वितीय के आधीन कई राज रजवाडे थे ऐसा [येन- त्सङ्ग लिखता है। इससे हमारा सम्बन्ध नहीं है। यहां उल्लेख योग्य यही बात है कि जिस प्रकार प्रवरसेन हर्ष के साथ ही सिंहासनारूढ हुआ था, उसी प्रकार हर्ष के समान उसकी सत्ता भी सातवीं सदी के बीच में घट गई थी कारण कि कांची के नरसिंहवर्मा ने उसकी राजधानी बादामी को छीन उसे नष्ट कर दिया था।