पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/५२

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वहाँ से तुङ्गभद्रा की ओर फिर लौट गया। वहीं चोल-नरेश भी आकर उससे मिला और वहीं उसने विक्रम को अपनी कन्या समर्पण की। कन्यादान के अनन्तर चोलनरेश अपने देश को लौट गया। कुछ काल पीछे विक्रम ने अपने ससुर की मृत्यु, का समाचार सुना। इस बात की भी तत्काल ही उसे सूचना मिली कि, चोलमहीप के मरने से राज्य में विप्लव मच गया है। इसलिए उसने अपने साले को गद्दी पर बिठाने के लिए दक्षिण की ओर फिर प्रस्थान किया। कांची पहुँच कर उसने विरोधियों को मार भगाया और अपने साले को सिंहासन पर बिठा दिया। उसके अनन्तर वह गांगकुण्ड पहुँचा और वहाँ शत्रु की सेना को नष्ट करके चालदेश के नवीन नरेश को उसने शत्रु रहित कर दिया। वहाँ से लौट कर कुछ दिन कांची में वह फिर रहा और उसके अनन्तर पुनर्वार तुङ्गभद्रा की ओर गया। उसे उस ओर गये थोड़े ही दिन हुए थे कि उसने अपने साले की मृत्यु का अमङ्गल समाचार सुना और साथ ही यह भी सुना कि वेङ्गि देश के राजा राजिग ने कांची को अपने अधिकार में कर लिया है।