पृष्ठ:विचित्र प्रबंध.pdf/३२८

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पञ्चभूत। क्षिति ने कहा- हमारे देश के काव्यां में जहाँ स्त्री की देह का वर्णन हुआ है वहाँ उसकी उँचाई और गोलाई बतलाने के लिए हमारे कवियों ने झट सुमेरु और पृथिवी का आह्वान किया है। इसका कारण यह है कि अवन्द्र क कं देश में परिमाण-विचार की आवश्यकता नहीं समझी जाती । बैल का कन्धा ऊँचा होता है और प्रसिद्ध शिखर काञ्चनजङ्घा भी ऊँचा है। अतएव पदार्थ को छोड़ कर कंवल गुण की दृष्टि से बैल के कन्ध (डील) के साथ काञ्चन- जडा की भी तुलना की जा सकती है। परन्तु जो अभागा काञ्चन- जसा की उपमा सुन कर अपने कल्पना-पट पर हिमालय के शिखर का अङ्कित देखता है, और जो बचारा पर्वत-शिग्वर से उसकी उचाई अलगा कर निरी उँचाई देखने को शक्ति नहीं रखता उसकं लिए यह बात निम्सन्देह बड़ी ही कठिन होगा। भैया, आज की तुम्हारी यह बात हृदय में ठीक ठीक बैठ गई है अतएव इसका मैं विरोध नहीं कर सकती, इसका मुझे बड़ा दुःग्य है । व्याम ने कहा-यह कैसे कह दूं कि विरोध करने की कोई बात नहीं है। वायु को अपना मत दूसरे रूप में प्रकट करना चाहिए । सच्ची बात तो यह है कि हम लोग अन्तर्जगत के प्राणी. हैं, हम लोगों के लिए बाह्य जगत् कुछ विशेष आवश्यक नहीं है। हम लोग अपने मन में जा विचार करते हैं, जो नई बात निश्चित करते हैं, उसका विरोध यदि वाह्य-जगत् करे तो उसका प्रभाव हम लोगों पर नहीं पड़ता। हम लोग उसकं विराध को मानते ही नहीं। जिम प्रकार धूमकेतु की पूँछ किसी ग्रह की कक्षा में आ जाय तो इससे ग्रह की कोई भी क्षति नहीं हाती किन्तु