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पृष्ठ:विदेशी विद्वान.djvu/११४

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१०—बुकर टी॰ वाशिंगटन

मराठी-साहित्य में, हाल ही में, एक बहुमोल ग्रन्थ प्रका- शित हुआ है। बम्बई के "मासिक मनोरञ्जन" के नाम से हिन्दी जाननेवाले अपरिचित नहीं हैं। इस पत्र के उत्साही सम्पादक, श्रीयुत काशीनाथ रघुनाथ मित्र, ने अपनी-"मनो र‌ञ्जक ग्रन्थ-प्रसारक मण्डला" के कार्यालय से लगभग पौन सौ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। जिस पुस्तक का और उसके आधारभूत जिस विषय का-अर्थात् बुकर टी० वाशिंगटन के चरित्र का-परिचय इस लेख में देने का सङ्कल्प किया गया है उसका नाम है "आत्मोद्धार" । यदि उक्त मण्डली द्वारा इस ग्रन्थ के अतिरिक्त और कोई भी पुस्तक प्रकाशित न होती, तो भी देश-हित की दृष्टि से उसका उद्देश सफल हो जाता। सचमुच "आत्माद्धार" ऐसा ही प्रभावशाली ग्रन्थ है। जो लोग उसको अपनावेगे और उसमें लिखी हुई बातों पर कुछ ध्यान देगे वे निस्सन्देह अपना उद्धार करने में समर्थ हो जायेंगे। इस ग्रन्थ के लेखक श्रीयुत नागेश वासुदेव गुणाजी, बी० ए०, एल-एल० बी० का नाम मराठी साहित्य-सेवकों मे बहुत प्रसिद्ध है। जब आपने बुकर टी० वाशिंगटन और उनके परोपकारी कार्यों का कुछ वर्णन समाचार-पत्रों में पढ़ा तय आपकी यह इच्छा हुई कि अमेरिका जाकर उस महात्मा