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पृष्ठ:विदेशी विद्वान.djvu/११५

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बुकर टी॰ वाशिंगटन


का दर्शन-लाभ करे और उसकी संस्थाओ मे कुछ दिन रहकर अध्ययन करे। परन्तु द्रव्य के अभाव से आपकी यह सदिच्छा सफल न हुई। तब आपने यह निश्चय किया कि यदि शरीर द्वारा वहाँ नहीं जा सकते तो न सही, अन्तःकरण ही से बहुत सा काम किया जा सकता है। इसके बाद आपने पत्र- व्यवहार करके बुकर टी॰ वाशिंगटन के परोपकारी कार्यों के विषय में जानने योग्य सब सामग्री एकत्र की। वाशिंगटन के जीवनचरित की कुछ बाते “आउट लुक” नामक मासिक-पत्र मे प्रकाशित हुई थी। उन्हे पढ़कर उनके अनेक मित्र उनसे अपना आत्मचरित लिखाने का आग्रह करने लगे थे। उनकी पोर्शिया नामक लड़की ने भी कई बार इस विषय मे उनसे आग्रह किया। तब उन्होने “Up from Slavery” नामक पुस्तक द्वारा अपना आत्मचरित प्रकाशित किया। “आत्मोद्धार” इसी पुस्तक का मराठी-रूपान्तर है। इस मराठी पुस्तक मे, ग्रन्थकार के एक मित्र की लिखी हुई २४ पृष्ठों की एक भूमिका है। उसमे “आत्मोद्धार” के अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों की मार्मिक चर्चा की गई है। मराठी-ग्रन्थकार श्रीयुत गुणाजी का साहित्य-प्रेम तो प्रशंसनीय है ही, परन्तु इस ग्रन्थ की सामग्री एकत्र करने में आपने अपने दृढ़ निश्चय, धैर्य, यत्न आदि गुणों का भी परिचय दे दिया है। आपने मराठी-भाषा की सेवा करने में जो उत्साह प्रकट किया है वह हम लोगों के लिए अनुकरणीय है। यह ग्रन्थ पढ़ने से यह बात अच्छी