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विदेशी विद्वान्


से उसने कई विद्यार्थियों को हैम्पटन की शाला में भेजने का प्रबन्ध किया। उस समय शिक्षा के विषय में अनेक भ्रम- मूलक कल्पनायें प्रचलित थी। लोग समझते थे कि भाषा, साहित्य, गणित, भूगोल, आदि की कुछ बातें जान लेना ही शिक्षा है। माल्डन मे दो वर्ष तक शिक्षक का काम करने के बाद, शिक्षा के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिए, वाशिंगटन कोलंबिया प्रान्त के वाशिंगटन शहर मे आठ महीने रहा । वहाँ उसको नीग्रो लोगों की सामाजिक दशा के सम्बन्ध में बहुत सी बातें मालूम हुई। बहुतेरे लोग नाममात्र की शिक्षा प्राप्त करके अपने को सुखी और श्रीमान सूचित करने के लिए यत्न कर रहे थे। इसलिए उन्हें अपनी आमदनी की अपेक्षा व्यय अधिक करना पड़ता था। फल यह होता था कि वे ऋणी हो जाया करते थे। शहरों में रहनेवाले लिखे-पढ़े लोग ( स्त्रियाँ और पुरुष दोनों) शारीरिक श्रम करना नीच काम समझते थे। प्रायः अधिकांश लोग कृत्रिम सुख से मोहित होकर राजनैतिक हलचलों मे शामिल होना ही अपना कर्तव्य समझते थे। सारांश यह कि उन लोगों ने अपने जीवन की अनेक आवश्यक- तायें कृत्रिम रीति से वटा ली थी, परन्तु उनमें अपनी सब आवश्यकताओं की पूर्ति करने की योग्यता न थी। नगर- निवासियों का मोहक जीवन-क्रम देखकर वाशिंगटन के भी मन मे एक राजनैतिक हलचल में शामिल हो जाने की इच्छा उत्पन्न हुई। परन्तु वह अपने जीवन के पवित्र उद्देश को भूल