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हर्बर्ट स्पेन्सर

इँगलेड के डर्बी नामक शहर में २७ एप्रिल १८२० को स्पेन्सर का जन्म हुआ। उसका पिता वहाँ एक मदरसे में अध्यापक था और चचा पादरी था। ख़र्च अधिक था। स्कूल की नौकरी से जो आमदनी होती थी उससे काम न चलता था। इससे स्पेन्सर का पिता लड़कों के घर जाकर पढ़ाया करता था। इसमे अधिक मिहनत पड़ती थी, जिसका फल यह हुआ कि वह बीमार हो गया और मदरसे से उसे इस्तेफ़ा दे देना पड़ा। जब उसकी तबीयत कुछ अच्छी हुई तब उसने कलाबत्तू की डोरियॉ तैयार करने का एक कारख़ाना खोला। उसमे उसे नुक़सान हुआ। जिसने जन्म भर अध्ययन और अध्यापन किया उससे इस तरह के काम भला कैसे हो सकते थे? अन्त में कारख़ाना बन्द करना पड़ा। तब स्पेन्सर के पिता ने अपना एक मदरसा अलग खोल लिया। इसमे उसे कामयाबी हुई और घर का ख़र्च अच्छी तरह चलने लगा।

हर्बर्ट स्पेन्सर लड़कपन में बहुत कमज़ोर था। सात-आठ वर्ष की उम्र तक उसने कुछ भी नहीं पढ़ा-लिखा। उसकी कमज़ोरी देखकर उसका पिता भी कुछ न कहता था। उसने अपने लड़के पर पढ़ने लिखने के लिए कभी दबाव नहीं डाला। हर्बर्ट की छोटी ही उम्र में विज्ञान का चसका लग गया था। वह दूर-दूर तक घूमने निकल जाया करता था और तरह-तरह के कीड़े-मकोड़े और पौधे लाकर घर पर जमा करता था। इसी को उसकी विज्ञान-शिक्षा का प्रारम्भ समझिए। पिता इन