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पृष्ठ:विदेशी विद्वान.djvu/३३

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हर्बर्ट स्पेन्सर

किसी-किसी का मत है कि तत्त्वज्ञानियों में अरिस्टाटल, बेकन और डारविन ही की उपमा उससे थोड़ी-बहुत दी जा सकती है। ईश्वर करे इस महादार्शनिक की पुस्तकों का अनु- वाद इस देश की भाषाओं में हो जाय जिससे इस बूढ़े वेदान्ती भारतवर्ष के निवासियों को भी उसके सिद्धान्त समझने में सुभीता हो।

[जुलाई १९०६
 



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