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पृष्ठ:विदेशी विद्वान.djvu/३९

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कर्नल आलकट

उत्साह से करते रहे। फल यह हुआ कि आपके कितने ही विपक्षी इस समय आपकी बातों को मानने लगे हैं। सुनते हैं आपके सारे बड़े-बड़े काम महात्माओं की प्रेरणा से हुआ करते थे। ऐसी ही प्रेरणा के वशीभूत होकर आप एनी बेसँट को अपने पद का उत्तराधिकारी बनाने की सिफ़ारिश कर गये हैं।

कर्नल आलकट की बदौलत थियासफ़िकल सोसायटी से, एक बात जो सबसे अधिक महत्त्व की हुई है, वह यह है कि इस देश के अँगरेज़ी पढ़े विद्वानों के हृदय मे अपने देश की विद्या और शास्त्रादि पर श्रद्धा का अँकुर जम गया है। यह कुछ कम लाभ नहीं।

[अप्रेल १९०७
 


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