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विदेशी विद्वान्

में पेश की गई तब थीबो साहब एक बहुत ही प्रसिद्ध और प्रभावशाली पुस्तक प्रकाशक की रीडरों के ख़िलाफ़ राय देने से ज़रा भी न हिचके। कारण यह था कि उनमे अनुचित बातें थी। आपकी न्यायशीलता का यह उत्तम उदाहरण है।

डाक्टर थीबो ने पञ्चसिद्धान्तिका और शङ्कर तथा रामा- नुज-भाष्य-युक्त वेदान्तसूत्रों का, निज सम्पादित, बहुत उत्तम संस्करण प्रकाशित किया है। वराहमिहर पर आपने टिप्प- णियाँ लिखी हैं और मीमांसा तथा ज्योतिष-वेदाङ्ग पर कितने ही निबन्ध लिखे हैं। अपनी मातृभाषा जर्मन में भी आपने बहुत से लेख लिखे हैं। जर्मन होकर भी आप अच्छी अँग- रंज़ी लिखते और बोलते हैं।

आपकी योग्यता से प्रसन्न होकर गवर्नमेट ने आपको सी॰ आई॰ ई॰ की पदवी से विभूषित किया है।*

[ जूलाई १९०६
 



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“स्टूडेन्ट-वर्ल्ड” से सङ्कलित