पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/६

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[९] पद-सूचना पद-संख्या पद-सूचना पद-संख्या देव! दूसरो कौन दीनको दयालु १५४ | बारक बिलोकि बलि ... १८० देव बड़े दाता बड़ोसकर बड़े भोरे ८ बावरी रावरो नाह भवानी देहि अवलंब कर कमल ... ५८ बिस्वास एक राम-नामको १५५ देहि सतसंग निज अंग .." ५७ मिरद गरीबनिवाज रामको ९९ नाचत ही निसि-दिवस मरयो ९१ बीर महा अवराधिये • १०८ नाथ कृपा ही को पथ ... २२१ भजिवे लायक सुखदायक २०७ नाथ गुनगाथ सुनि ... १८२ भयेहूँ उदास राम ... १५८ नाथ नीके के जानिबी ... २६३ भरोसो और आइहै उरताके २२५ नाय सों कौन विनती कहि भरोसो जाहि दूसरो सो करो २२६ सुनावों ... २०८ भली भाँति पहिचाने जाने २४९ नाम राम रावरोई हित मेरे २२७ भलो भली भाँति है ... ७० नाहिन आवत आन भरोसो १७३ भानुकुल-कमल-रवि .. ५. नाहिन और कोउसरन लायक २०६ | भीषणाकार, भैरव, भयंकर ११ नाहिन चरन-रति ... १९७ मगल मूरति मारुत-नंदन ३६ नाहिन नाथ ! अवलंब मोहि मन इतनोई या तनुको .." ६३ आनकी ... २०९ मन पछितैहै अवसर बीते १९८ नौमि नारायणं नरं करुणायनं ६० मन । माधवको नेकु निहारहि ८५ पवन-सुवन ! रिपु-दवन! २७८ पन करिहौं हडि आजुर्ते ... २६७ मन मेरे, मानहि सिख मेरी १२६ मनोरथ मनको एकै भाँति २३३ पावन प्रेम राम-चरन-कमल १३१ महाराज रामादरयो धन्य सोई १०६ पाहि पाहि राम ! पाहि " २४८ माधव! अब नद्रवहु केहि लेखे ११३ प्रिय गमनामतें जाहि न रामो २२८ माधव!असितुम्हारियह माया ११६ बदौं रघुपति करुनानिधान ६४ | माधवन, मोसम मद न कोऊ ९२ बलि जाउँ, और कासों कहौं २२२ | माधव ! मो समान जग माही ११४ बलि जाउँ हौं राम गुसाई १९५ | माधव ! मोह-फाँस क्यों टूटै ११५ बाप ! आपने करत मेरी .. २५२ । मारुति-मन, रुचि भरतकी - २७९