पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/१०८

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६४११६६ ] ४-पाचित्तिय [ ६५ डालना पाचित्तिय (=प्रायश्चित्त ) है । बुद्धके चीवरका प्रमाण इस प्रकार है-सुगत ( =बुद्ध )के वित्तेसे लंबाई नौ वित्ता और चौड़ाई छ वित्ता । ...। (इति) धस्मिक-पग ॥१६॥ आर्याओ ! यह एकसै छाछठ पाचित्तिय दोष कहे गये । आर्याओंसे पूछती हूँ- क्या (आप लोग ) इनसे शुद्ध हैं ? दूसरी बार भी पूछती हूँ -क्या शुद्ध हैं ? तीसरी बार भी पूछती हूँ-क्या शुद्ध हैं ? आर्या लोग शुद्ध हैं, इसीलिये चुप हैं-ऐसा मैं इसे धारण करती हूँ। पाचित्तिय समाप्त ॥४॥