१७३।१० ] किसके लिये निश्रय आवश्यक है और किसके लिये नहीं है [ १२१ (१०) किसके लिये निश्रय आवश्यक है और किसके लिये नहीं है क-भिक्षुओ ! पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको नि ध य के बिना वास नहीं करना चाहिये- (१) न वह संपूर्णशील-मुजसे युक्त होता है, ० १ (५) न संपूर्ण विमुक्तियोंके ज्ञानके साक्षात्कार-पुंजसे संयुक्त होता है। भिक्षु इन पांच वातोंसे युक्त भिक्षु को निश्रयके बिना वास नहीं करना चाहिये । 79 ख-भिक्षुओ! पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना वास करना चाहिये--(१) वह संपूर्णशील-पुंजसे युक्त होता है, ० १ (५) संपूर्ण विमुक्तियोंके जानके साक्षात्कार पुंजसे संयुक्त होता है। भिक्षु इन पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना वास करना चाहिये। 80 ग-~और भी भिक्षुओ! पांच बातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके बिना वास नहीं करना चाहिये--- (१) अ-श्रद्धालु होता है; (२) लज्जा रहित होता है; (३) संकोच-रहित होता है; (४) आलसी होता है; (५) भूल जाने वाला होता है । 0 1 81 घ-भिक्षुओ ! पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना वास करना चाहिये-- (१) श्रद्धालु होता है ० । (५) याद रखने वाला होता है। ० । 82 ऊ-और भी भिक्षुओ ! पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके बिना नहीं रहना चाहिये-- (१) बीलके विषयमें शील-हीन होता है; (२) आचारके विषयमें आचार-हीन होता है; (३) धारणा- के विषयमें बुरी धारणावाला होता है; (४) विद्याहीन होता है; (५) प्रज्ञाहीन होता है । ० । 83 च-भिक्षुओ! पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना रहना चाहिये-(१) शीलहीन नहीं होता; (२) आचारहीन नहीं होता; (३) धारणाके विपयमें बुरी धारणावाला नहीं होता; (४) विद्यावान् होता है; (५) प्रज्ञावान होता है । ० । 84 छ-और भी भिक्षुओ! पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना नहीं रहना चाहिये- (१) दोपको नहीं जानता; (२) न निर्दोषताको जानता है; (३) न छोटे दोपको जानता है; (४) न बळे दोपको जानता है; और (४) भिक्षु-भिक्षुणी दोनोंके प्रातिमोक्षोंको विस्तारके साथ नहीं हृद्गत किये हता। मूक्त (बुद्धोपदेश) से और प्रमाणसे प्रातिमोक्षको न सुविभाजित किये रहता, न सुप्रवर्तिन, न सु-निर्णीत किये रहता है। 0 1 85 ज-भिक्षुओ ! पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको नि ध य के बिना रहना चाहिये-(१) दोपको जानता है; (५) प्रातिमोक्षोंको विस्तारके साथ हृद्गत किये रहता है । 0 1 86 झ--और भी भिक्षुओ। पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको नि ध य के बिना नहीं रहना चाहिये- (१) न बोपको जानता है; (२) न निर्दोषताको जानता है; (३) न छोटे दोपको जानता है; (४) न बजे दोपको जानता है; (५) और पाँच वर्षसे कमका भिक्षु होता है । 0 1 87 ग-भिक्षुओ! पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको निश्रयके विना रहना चाहिये--(१) दोपको जानता है; (२) निर्दोपताको जानता है; (३) छोटे दोपको जानता है; (४) बळे दोपको जानता है: (५) पाँच वर्षमे अधिकका भिक्षु होता है । 0 1 88 ट-भिक्षुओ ! इन छ वानोंने युक्त भिक्षुको निश्रयके बिना नहीं रहना चाहिये-(१) न गंपूर्ण गील-जने युक्त होता है; ०२ (६) न पाँच वर्षमे अधिकका भिक्ष होता है । 0 1 89 ट-० निश्रयके विना रहना चाहिये--(१) संपूर्ण गील-पुंजमे युक्त होता है; ० (६) पांच ५ देरमो पृष्ठ ११२-१३ से द तद. पिछले पंचकके प्रकरणके ग से ज तक की तरह पाँच पांच बातें और छठी बान पांच वाईने कम या अधिक का भिक्ष होना समझो
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