पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/१७३

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१२८ ] ३-महावग्ग [ १९३।१४ मार्गके बीचमें चोरोंने निकलकर किन्हीं किन्हीं भिक्षुणियोंको लूटा और किन्हीं किन्हींको मार डाला। श्रावस्तीसे निकलकर राजसैनिकोंने भी किन्हीं किन्हीं चोरोंको पकळ लिया और कोई कोई चोर भाग गये। वह भागे हुए चोर भिक्षुओंके पास जाकर प्रव्रजित हो गये । जो पकळे गये थे वधके लिये ले जाये जाने लगे। उन प्रव्रजित (चोरोंने ) उन चोरोंको वधके लिये ले जाते देखा । देवकर उन्होंने कहा- 'अच्छा हुआ जो हम भाग गये। यदि पकळे जाते तो हम भी इसी प्रकार मारे जाते।' उन भिक्षुओंने पूछा---'क्यों आवुसो ! तुम क्या कहते हो? तब उन प्रबजितोंने भिक्षुओंसे वह सब बात कह दी। भिक्षुओंने भगवान्से वह सब बात कही। (भगवान्ने यह कहा)- "भिक्षुओ! यह भिक्षुणियाँ अर्हत् हैं। भिक्षुओ! अर्हत्घातकको उपसंपदा न पाये होनेपर उपसंपदा न देनी चाहिये, और उपसंपदा पाये तो उसे निकाल देना चाहिये ।" II4 ८--उस समय एक (स्त्री-पुरुप) दोनों लिंगवाला व्यक्ति भिक्षुओंके पास प्रव्रजित हुआ था। वह (व्यभिचार) करता कराता था। भगवान्से यह बात कही। (भगवान्ने यह कहा)- "भिक्षुओ! उपसंपदा-रहित (स्त्री-पुरुप) दोनों लिंगवाले व्यक्तिको उपसंपदा न देनी चाहिये । उपसंपदा पा गया हो तो उसे निकाल देना चाहिये।" I IS ९--उस समय भिक्षु उपाध्यायके बिना उपसंपदा देते थे। भगवान्से यह बात कही। (भगवान्ने यह कहा)- "भिक्षुओ ! उपाध्यायके बिना उपसंपदा न देनी चाहिये। जो उपसंपदा दे उसे दुक्कटका दोप हो।" 116 १०-उस समय भिक्षु संघको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे । भगवान्से यह बात कही। (भगवान्ने यह कहा)-- "भिक्षुओ! संघको उपाध्याय बना उपसंपदा नहीं देनी चाहिये। जो उपसंपदा दे उसे दुक्कट का दोप हो।" II7 ११--उस समय भिक्षु गणको उपाध्याय वना उपसंपदा देते थे। ०- "भिक्षुओ! गणको उपाध्याय बना नहीं उपसंपदा देनी चाहिये। जो उपसंपदा दे उसे दुक्कट का दोप हो।" II8 १२--उस समय भिक्षु पंडकको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे। -- १३--० चोरीके वस्त्र पहनेको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे । 119 १४--० तीथिकोंके पास चले गयेको उपाध्याय वना उपसंपदा देते थे। 120 १५--० तिर्यग्-योनिवालेको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे० । 121 १६--० मातृ-घातकको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे। 122 १७--० पितृ-घातकको उपाध्याय वना उपसंपदा देते थे। 123 १८--० अर्हत्-घातकको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे० । 124 १९--० भिक्षुणी-दूपकको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे० । 125 २०-० संघमें फूट डालनेवालेको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे। २१-~० (बुद्धके शरीरसे) लोहू निकालनेवालेको उपाध्याय वना उपसंपदा देते थे० । 126 २२-~० (स्त्री-पुरुप) दोनों लिंगवालेको उपाध्याय बना उपसंपदा देते थे। भगवान्म यह बात कही। (भगवान्ने कहा)- "भिक्षुओ ! (स्त्री-पुरुष) दोनों लिंगवालेको उपाध्याय बनाकर उपमंगदा न देनी नाहि । जो उपमंपदा दे उमे दुक्क ट का दोप हो।" 127