पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/१८४

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११४।९ ] निश्रयकी अवधि [ १३७ ओ सा र ण करना चाहिये; यदि कहे-नहीं छोडूंगा-तो ओसारण नहीं करना चाहिये। ओसारण करके कहना चाहिये -उस बुरी धारणाको छोळो! ---यदि छोळता है तो अच्छा है। यदि नहीं छोळता तो एकमत मिलनेपर फिर उत्क्षिप्त करना चाहिये । एकमत न मिलनेपर साथ भोजन और निवासमें दोष नहीं। 186 प्रथम महाक्वन्धक (समाप्त)॥१॥