पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२०८

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२०५।१ (a)] नियम-विरुद्ध उपोसथ [ १५७ "आवुस ! जो ऐसा ऐसा काम करे वह किस दोपका भागी होता है ?" उसने जवाब दिया-"आवुस ! जो ऐसा ऐसा करे वह इस नामवाले दोषका भागी होता है। आवुस ! तुम इस नामवाले दोपके भागी हो, सो उस दोपका प्रतिकार करो।" -"आवुस ! मैं अकेलाही इस दोषका भागी नहीं हूँ। इस सारे संघसे यह दोष उसने कहा- हुआ है।" दूसरेने कहा-"आवस! दूसरेके सदोप या निर्दोष होनेसे तुम्हें क्या? आवुस ! तू अपने दोषको हटा।" तव उस भिक्षने उस भिक्षुके वचनसे उस दोषका प्रतिकार कर जहाँ उसके साथी दूसरे भिक्षु थे वहाँ गया। जाकर उन भिक्षुओंसे यह वोला- "आवुस ! जो ऐसे ऐसे (काम) को करता है, वह इस नामवाले दोपका भागी होता है । आवुसो! तुम इस नामवाले दोषके भागी हो, सो उस दोषका प्रतिकार करो।" परन्तु उन भिक्षुओंने उस भिक्षुके वचनसे उस दोषका प्रतिकार करना नहीं चाहा। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ! यदि किसी आवासमें सारे संघसे सभाग दोष हुआ हो०१ आवुसो! तुम इस नामवाले दोपके भागी हो, सो उस दोषका प्रतिकार करो।' यदि भिक्षुओ ! वह भिक्षु, उस भिक्षुके बचनसे उस दोषका प्रतिकार करे तो ठीक; यदि प्रतिकार न करे तो भिक्षुओ! उन भिक्षुओंको उस भिक्षुसे अनिच्छुक नहीं रहना चाहिये।" 86 चोदनावस्तु भाणवार समाप्त ॥२॥ - ६५-कुछ भिक्षुओंको अनुपस्थितिमें किये गये नियम-विरुद्ध उपोसथ (१) अन्य आश्रमवासियोंकी अनुपस्थितिमें आश्रमवासियोंका उपोसथ क. (a) अन्य याश्रमवासियोंकी अनुपस्थितिको जानकर दोषरहित उपोसथ उस समय एक आवासमें वहुतसे–चार या अधिक-आश्रमवासी भिक्षु, उपोसथके दिन एकत्रित हुए। उन्होंने नहीं जाना कि कुछ आश्रमवासी भिक्षु नहीं आये। उन्होंने धर्म समझ, विनय समझ (संघका एक) भाग होते भी (अपनेको) समग्र समझ उपोसथ किया, प्रातिमोक्ष-पाठ किया। उनके प्रातिमोक्ष-पाठ करते समय दूसरे आश्रमवासी भिक्षु जो संख्यामें उनसे अधिक थे, आ गये । भगवान्से यह वात कही ।- १-(१) “यदि भिक्षुओ! किसी आवासमें बहुतसे --चार या अधिक-आश्रमवासी भिक्षु उपोसथके दिन एकत्रित हों और वे न जानें कि कुछ दूसरे आश्रमवासी भिक्षु नहीं आये, वे धर्म समझ, विनय नमझ, (संघका एक) भाग होते भी (अपनेको) समग्र समझ उपोसथ करें, प्रातिमोक्षका पाठ करें और उनके प्रातिमोक्ष-पाठ करते समय दूसरे आश्रमवासी भिक्षु जो संख्यामें उनसे अधिक हैं आजायँ तो भिक्षुओ! उन भिक्षुओंको फिरने प्रातिमोक्ष-पाठ करना चाहिये। (फिरसे) पाठ करनेवालोंको दोप नहीं। 87 (२) "यदि भिक्षुओ ! किसी आवासमें उपोसथके दिन वहुतने --चार या अधिक-आथम- देखो ऊपर।