पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२२३

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. १७२ ] ३-महावग्ग [ ३७२।१ (३) वर्षावासके वीच यात्रा नहीं १-उस समय पड्वर्गीय भिक्षु वर्षावास बसकर वर्षाकालके बीचहीमें विचरण करनेके लिये चल देते थे । लोग उसी प्रकार हैरान होते थे~~'कैसे शाक्यपुत्रीय श्रमण हरे तृणोंको मर्दन करते० विचरण करते हैं !' भिक्षुओंने उन मनुष्योंके हैरान होने..को सुना । तब जो अल्पेच्छ (लोभ रहित) भिक्षु थे वह हैरान होते थे—'कैसे पड्वर्गीय भिक्षु वर्षावास आरम्भ करके वर्षाकालके भीतर ही विचरण करने चले जाते हैं !' तव उन भिक्षुओंने भगवान्से यह बात कही । भगवान्ने इमी प्रकरणमें इसी संबंधमें धार्मिक कथा कह भिक्षुओंको संबोधित किया ।- "भिक्षुओ ! वर्षावास आरंभ करके पहले तीन मास (श्रावण, भाद्र, आश्विन) या पिछले तीन (भाद्र, आश्विन, कार्तिक) विना एक जगह बसे विचरणके लिये नहीं जाना चाहिये । जो जाये उसे दुक्क ट का दोष हो ।"4 २–उस समय षड्वर्गीय भिक्षु वर्पावासके लिये (एक जगह) रहना नहीं चाहते थे। भग- वान्से यह बात कही ।- "भिक्षुओ ! वर्षावासके लिये (एक जगह) न-रहना, नहीं करना चाहिये । जो (वर्पावासके लिये) न रहे उसे दुक्कटका दोष हो ।"5 (४) वर्षोपनायिकाको आवास नहीं छोळना उस समय षड् वर्गी य भिक्षु वर्षावास न रखनेकी इच्छासे व पोप ना यि का के दिन ही जान बूझकर आश्रम छोळ देते थे । भगवान्से यह बात कही ।- "भिक्षुओ ! वर्षावास न रखनेकी इच्छासे वर्पोपनायिकाके दिन जान बूझकर आश्रमको नहीं छोळना चाहिये । जो छोळे उसको दुक्क्टका दोप हो।"6 (५) राजकीय अधिकमासका स्वीकार उस समय मगधराज सेनिय बिम्बिसार वर्षमें (अधिकमास) जोळनेकी इच्छासे भिक्षुओं के पास संदेश भेजा-'क्यों न आर्य लोग आनेवाली पूर्णिमासे व र्पा वा स आरम्भ करें।' भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ (अधिक मासके विषय में) राजाओंका अनुसरण करनेकी।" 7 ६२-बीच में सप्ताह भरके लिये वर्षावासका तोळना B -श्रावस्ती (१) संदेश मिलनेपर सात दिनके लिये वाहर जाना तव भगवान् रा ज ग ह में इच्छानुसार विहार करके था व स्ती में विचरण करने चल दिये । क्रमशः विचरण करते जहाँ था व स्ती है वहाँ पहुँचे और वहाँ भगवान् श्रा व स्ती में अ ना थ पि डि क के आराम जे त व न में विहार करते थे। उस समय को स ल देशमें उ द य न उपासकने संघके लिये विहार ( =निवास-स्थान आश्रम ) वनवाये थे। उसने भिक्षुओंके पास संदेश भेजा-'भदन्त लोग आवें । मैं दान देना चाहता हूँ, धर्मोपदेश सुनना चाहता हूँ, और भिक्षुओंका दर्शन करना चाहता हूँ।' भिक्षुओंने ऐसा कहा—'आवुस ! भगवान्ने विधान किया है कि वर्पा वा स आरंभ