पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२२५

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घा 14 ड. o १७४ ] ३-महावग्ग [ ३२१ (ठ)" • बहुतसी श्रामणेरियोंके लिये० । 20 (ड) ० एक श्रामणेरीके लिये । 21 (ढ) “ यदि भिक्षुओ ! उपासकने अपने लिये घर, शयनीय-घर, उ दो सि त (=रातके रहनेका घर), अटारी, मा ल (=पर्णकुटी), दूकान (=आपण), आपणशाला, प्रासाद, हर्म्य, गुहा, परिवेण, कोठरी, उपस्थान-शाला, अग्नि-शाला, र स व ती (रसोईघर), पाखाना, चंक्रम, चंक्रमनशाला, प्याव, प्यावशाला (पौसला), स्नान-गृह (जन्ताघर), जन्तावर-शाला पुष्करिणी, मंडप, आराम, आरामवस्तु, वनवाये हो, और वह पुत्रका व्याह करनेवाला हो, या कन्याका ब्याह करनेवाला हो, या रोगी हो, या उत्तम सुत्त न्तों (=बुद्धोपदेश) का पाठ करता हो, और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे—'भदन्त लोग आयें,-सप्ताह भरमें लौट आना चाहिये । 22 ३—(क) "यदि भिक्षुओ ! ( किसी ) उपासिकाने संबके लिये विहार बनवाया हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे–'आर्य लोग आयें, मैं दान देना चाहती हूँ, धर्मोपदेश सुनना चाहती हूँ, भिक्षुओंका दर्शन करना चाहती हूँ तो–संदेश भेजनेपर सप्ताह भरके लिये जाना चाहिये, बिना संदेश भेजे नहीं; और सप्ताह भरमें लौट आना चाहिये । 23 (ख) “यदि भिक्षुओ ! किसी उपासिकाने संघके लिये अड्ढयोग (=अटारी)० सप्ताह भरमें लौट आना चाहिये । 24 (ग) “ यदि भिक्षुओ ! किसी उपासिकाने बहुतसे भिक्षुओंके लिये० । 25 ० एक भिक्षके लिये । 26 भिक्षुणीसंघके लिये । 27 (च) बहुतसी भिक्षुणियोंके लिये । 28 (छ) एक भिक्षुणीके लिये० । 29 (ज) वहुतसी शिक्षमाणाओंके लिये० । 30 (झ) ० एक शिक्षमाणाके लिये० । 31 (ब) वहुतसे श्रामणेरोंके लिये० । 32 (ट) " ० एक श्रामणेरके लिये । 33 ८) बहुतसी श्रामणेरियोंके लिये० । 34 ड) ० एक श्रामणेरीके लिये ० । 35 (ढ) ० अपने लिये निवास घर-शयनीय घर ० । 36 (ण) पुत्रका व्याह करनेवाली, या कन्याका व्याह करनेवाली हो, या रोगी हो, या उत्तम सुत्तन्तोंका पाठ करती हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे—आर्य लोग आयें, इस सुत्तन्तको सीखें, कहीं ऐसा न हो कि यह सुत्त न्त ( याद करनेवालेके बिना ) नष्ट हो जाय', या उसका और कोई कृत्य करणीय हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे-'आर्य लोग आवें, मैं दान देना चाहती हूँ, धर्मोपदेश सुनना चाहती हूँ, भिक्षुओंका दर्शन करना चाहती हूँ'--तो भिक्षुओ संदेश भेजनेपर सप्ताह भरके लिये जाना चाहिये, न संदेश भेजनेपर नहीं; और सप्ताह भरमें लौट आना चाहिये । 37 ४--( क ) " यदि भिक्षुओ ! भिक्षुने संघके लिये ० । 38 (ख) • यदि भिक्षुओ ! भिक्षुने बहुतसे भिक्षुओंके लिये ० । 39 (ग) ० एक भिक्षुके लिये ० । 40 (घ) भिक्षुणी-संघके लिये ० । 41 16 o 14 O 11 O 14 o 61 O 14 ! 14