पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२२६

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11 (1 14 o 17 O " o (1 14 ! १ ३०२।२] संदेशके विना भी सात दिनके लिये बाहर जाना [ १७५ (ङ) " ० बहुत सी भिक्षुणियोंके लिये ० । 42 (च) ० एक भिक्षुणीके लिये ० । 43 (छ) ० एक भिक्षुणीके लिये ० । 44 (ज) बहुतसे शिक्षमाणाओंके लिये ० । 45 (झ) " ० एक शिक्षमाणाके लिये ० । 46 (अ) बहुतसे श्रामणेरोंके लिये ० । 47 (ट) " ० एक श्रामणेरके लिये ० 148 (ठ) वहुतसी श्रामणेरियों के लिये ० । 49 • एक श्रामणेरीके लिये ० । 50 (ढ) ० अपने लिये ० 151 ५ " यदि भिक्षुओ ! भिक्षुणीने संघके लिये ० 152 ०१ (ढ) अपने लिये 165 ६ यदि भिक्षुओ! शिक्षमाणाने ० । ०। 66 (ढ) ० अपने लिये । 79 -(क) “ यदि भिक्षुओ ! श्रामणेरने ० । ०१8० (6) ० अपने लिये ० 1 93 ८-(क) " यदि भिक्षुओ ! श्रामणेरीने ० । ० 94 (ढ) ० अपने लिये ० ।" 107 (२) संदेशके बिना भो सात दिन के लिये बाहर जाना उस समय एक भिक्षु रोगी था । उसने भिक्षुओंके पास संदेश भेजा—'मैं रोगी हूँ, भिक्षु लोग आवें । भिक्षुओंके आगमनको चाहता हूँ ।' भगवान्से यह बात कही। १-"भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ पाँच (व्यक्तियों) के सप्ताह भरके कामके लिये संदेश भेजे विना भी जानेकी। संदेश भेजनेपरकी तो बात ही क्या-भिक्षुके, (कामके लिये ), भिक्षुणीके, शिक्षमाणाके, श्रामणेरके और श्रामणेरीके । भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ इन पाँचोंके सप्ताह भरके कामके लिये विना संदेश भेजे भी जानेकी । संदेश भेजनेपरकी तो बात ही क्या सप्ताहमें लौटना चाहिये । 108 २-(क) "भिक्षुओ ! यदि कोई भिक्षु रोगी हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे-'मै रोगी हूँ, भिक्षु लोग आवें; मैं भिक्षुओंका आगमन चाहता हूँ, तो भिक्षुओ ! सप्ताह भरके कामके लिये विना संदेश भेजे भी जाना चाहिये, संदेश भेजनेपर तो वात ही क्या । रोगीके पथ्यका प्रबंध करूँगा, रोगीके सुश्रूषकका प्रबंध करूँगा, रोगीके लिये ओषधका प्रबंध करूँगा, देखभाल करूँगा या सुधूपा करूँगा-( इस विचारसे जाना चाहिये ) सप्ताहमें लौट आना चाहिये । 109 (ख) " यदि भिक्षुओ ! भिक्षुका मन (संन्याससे) उचट गया हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे-'मेरा मन उचट गया है, भिक्षु लोग आवें, भिक्षुओंका आगमन चाहता हूँ, तो भिक्षुओ ! विना संदेश भेजे भी सप्ताह भरके कामके लिये जाना चाहिये। संदेश भेजनेपर तो बात ही क्या । (यह सोचकर कि) उचाटको दूर करूंगा या दूर करवाऊँगा, या धार्मिक कथा कहूँगा; सप्ताहमें लौट आना चाहिये । IIO (ग) “ यदि भिक्षुओ ! (किसी) भिक्षुको मंदेह (-कौकृत्य) उत्पन्न हुआ हो और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे, मुझे संदेह (=कौकृत्य) उत्पन्न हुआ है ० ( यह सोचकर कि) संदेहको ! । 'ऊपरकी तरह यहाँ भी दुहराना चाहिये ।