पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२३

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[ १६ ] १. राजगृह 17 o 17 o १४० पृष्ठ पृष्ठ (ग) उपसम्पदामें ज्ञप्ति, (९) कहाँ और कब प्रातिमोक्षकी आवृत्ति अनुश्रावण और धारणा १३३ निपिद्ध है १४८ पन्द्रह वर्षसे कमका श्रामणेर १३४ २. चोदनावत्यु १४६ (७) भिक्षुपनके चार निश्रय १३४ (१०) प्रातिमोक्षकी आवृत्ति कैसा भिक्षु करे १४९ श्रामणेर शिष्योंकी संख्या १३५ ३. राजगह १४६ (८) भिक्षुओंके चार अ-करणीय १३५ निश्रयकी अवधि (११) काल और अंककी विद्या सीखनी १३६ त्राहिये १४९ (९) दुवारा उपसम्पदा लेनेपर पहिलेके देडोंका पूरा करना (१२) उपोसथके समयकी पूर्वसे सूचना १५० १३६ (१३) उपोसथागारकी सफाई आदि १५० २-उपोसथ-स्कंधक १३८-१७० ६४. असाधारण अवस्थामें उपोसथ १५१ ११. प्रातिमोक्षकी आवृत्ति १३८ ( १ ) लम्बी यात्राके लिये आजा १५१ १३८ (२) प्रातिमोक्ष जाननेवाला भिक्षु न होने- (१) उपोसथका विधान १३८ पर उस आवासमें नहीं रहना चाहिये (२) उपोसथके दिन धर्मोपदेश १३९ ( ३ ) उपोसथ या संघकर्ममें अनुपस्थित ( ३ ) प्रातिमोक्षकी आवृत्तिमें नियम १३९ व्यक्तिका कर्तव्य १५२ (४) में दिन नियम ( ४ ) पागलके लिये संघकी स्वीकृति १५३ ( ५ ) में समग्र होनेका नियम (५) उपोसथके लिये अपेक्षित वर्ग- 5२. उपोसथ केन्द्रकी सीमा और उपोसथोंकी (=कोरम्) संख्या १५४ संख्या १४० (६) शुद्धिवाला उपोसथ (१) सीमा वाँधना १४० (७) उपोसथके दिन दोपोंका प्रतीकार १५५ (२) उपोसथागार निश्चित करना १४१ (८) दोपका प्रतीकार कैसे और किसके ( ३ ) एक आवासमें उपोसथागारकी सामने संख्या और स्थान १४३ १५. कुछ भिक्षुओंकी अनुपस्थितिमें किये ( ४ ) उपोसथमें आनेमें चीवरोंका नियम गये नियम-विरुद्ध उपोसथ १५७ ( ५ ) सीमा और चीवरके नियम १४४ (१) अन्य आश्रमवासियोंकी अनुपस्थिति (६) सीमाके भीतर दूसरी सीमा नहीं १४५ में आश्रमवासियोंका उपोसथ १५७ (७) उपोसथोंकी संख्या १४५ क. (a) अन्य आश्रमवाससियोंकी ३३. प्रातिमोक्षकी आवृत्ति और पूर्वके कृत्य १४५ अनुपस्थितिको जानकर ( १ ) आवृत्तिमें क्रम १४५ किया गया दोपरहित (२) आपत्कालमें संक्षिप्त आवृत्ति १४६ उपोसथ १५७ (३) याचना करनेपर उपदेश देना (b) ० अनुपस्थितिको जान ( ४ ) सम्मति होनेपर विनय पूछना कर किया गया दोप- (५) अवकाश लेकर दोपारोप १४७ १५९ (६) नियमविरुद्ध कामके लिये फटकार १४८ (c) ० अनुपस्थितिमें संदेह- (७) प्रातिमोक्षको ध्यानमे मुनाना के साथ किया गया दोप- (८) प्रातिमोक्षकी आवृत्तिमें स्वर-नियम १६१ 11 " युक्त उपोसथ 11 युक्त उपोसथ