पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४

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[ १७ ] १७२ " घ.० 1) पृष्ठ (d) ० अनुपस्थितिमें संकोचके साथ किया गया दोषयुक्त उपोसथ १६२ (c) ० अनुपस्थितिमें कटूक्ति- पूर्वक किया गया दोपयुक्त उपोसथ १६४ ख. ० अनुपस्थितिको जाने बिना किया गया उपोसय १६५ अनुपस्थितिको देखे बिना किया गया उपोसथ अनुपस्थितिको सुने विना किया गया उपोसथ - ) कुछ नवागन्तुकोंकी अनुपस्थिनिको जानकर या जाने, देखे, सुने बिना नवागन्तुकों का किया उपोमथ १६६ (:) वृछ आश्रमवासियोंकी अनुपस्थिति को जानकर या जाने,देग्वे, सुने बिना नवागन्तुवों का किया उपोसथ ( ८ ) युछ नवागन्तुकोंकी अनुपस्थिति को जानकर या जाने, देखे, सुने बिना नवागन्तुकों का किया उपायथ (६. उपोसथवे. पाल, स्थान और व्यक्ति १६६ (१) स्पोनयी दो तिथियोंमें एकका रदीवार । । आयागिकों और नवागन्तुकोंका अलग उपाना नहीं । । उपानधर्व. दिन, आवाग त्यानमे नियम १६८ !! शनिमोम-निय लिये अयोग्य पृष्ठ (२) वर्षावासका आरम्भ १७१ (३) वर्षावासके बीच यात्रा नहीं (४) वोपनायिकाको आवास नहीं छोळना (५) राजकीय अधिमासका स्वीकार १२. बीच में सप्ताह भरके लिये वर्षावासका तोळना १७२ २. श्रावस्ती १७२ (१) सन्देश मिलनेपर १७२ (२) सन्देशके विना भी १७५ (३) सन्देश मिलने पर १७७ F३. वर्षावास करनेके स्थान १७८ ( १ ) विशेष परिस्थितिमें स्थान-त्याग १७८ (२) गाँव उजळनेपर गाँववालोंके साथ (:) स्थानकी प्रतिकूलतासे ग्राम-त्याग ( ८ ) व्यक्तिकी प्रतिकूलतासे स्थान-त्याग १७९ ( ५ ) संघभेद रोकनेके लिये स्थानत्याग ( 5 ) घुमन्तू गृहस्थोंके साथ वर्षावास (७) वर्पावासके लिये अयोग्य स्थान १८१ (८) वर्षावासमें प्रवज्या ४. स्थान-परिवर्तनमें सदोपता और निर्दोषता १८२ (१) पहिली वोपनायिकासे वचन दे वावासमें व्यतिक्रम करना निपिद्ध १८२ (२) ० वचन दे आवाममे जाने लौटनेके नियम (३) कब आना जाना और कब नहीं (४) पिछली दर्पोपनायिकाने वचन दे आवामने जाने लौटनेके नियम 2--प्रवारमा-कंवक १. प्रदारणा में स्थान, काल और व्यक्ति सम्बंधी नियम १८५ 11 १६ योग दिन ही योगः नाशिक-कान्यक १७१-८४ Timeविधान और दाल ? Si

खानामने बैठने नियम