पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२३१

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o १८० ] ३-महावग्ग [ ३३६ फूट डालनेकी इच्छा करें;' तो वह मेरी बातको करेंगे, कान देकर सुनेंगे, ध्यान देंगे, तो वहाँ चला जाना चाहिये । वर्षावास टूटने का डर नहीं । 172 ४- "यदि भिक्षुओ ! वर्षावास करनेवाला भिक्षु सुने कि अमुक (भिक्षु-)आवासमें बहुत भिक्षु संघमें फूट डालनेकी कोशिश कर रहे हैं, और यदि भिक्षुको ऐसा हो—'वे भिक्षु मेरे मित्र नहीं हैं, किन्तु उनके मित्र मेरे मित्र हैं। यदि मैं उनके मित्रोंसे कहूँगा तो वे इन्हें कहेंगे—'आवुसो ! भगवान्ने संघमें फूट डालनेको भारी (अपराध) कहा है, मत आप आयुष्मान संवमें फूट डालनेकी इच्छा करें;' तो वह उनकी बातको करेंगे, कान देकर सुनेंगे, ध्यान देंगे, तो वहाँ चला जाना चाहिये। वर्षावास टूटनेका डर नहीं। 173 ५- "यदि भिक्षुओ! वर्पावास करनेवाला भिक्षु सुने–'अमुक (भिक्षु-) आवासमें बहुतसे भिक्षुओंने संघमें फूट डाल दी। यदि भिक्षुको ऐसा हो—'यह भिक्षु मेरे मित्र हैं ०१ 1 174 ६-" ० भिक्षु सुने ० । यदि भिक्षुको ऐसा हो-'वे भिक्षु मेरे मित्र नहीं हैं किन्तु उनके मित्र मेरे मित्र ०१ । 175 भिक्षु सुने-अमुक (भिक्षुणी-)आवासमें बहुतसी भिक्षुणियाँ संघमें फूट डालनेकी कोशिश कर रही हैं । यदि भिक्षुको ऐसा हो-वे भिक्षुणियाँ मेरी मित्र हैं। यदि में उनसे कहूँगा- भगिनियो ! भगवान्ने संघमें फूट डालनेको भारी (अपराध) कहा है। ध्यान देंगी, तो वहाँ चला जाना चाहिये । वर्षावास टूटनेका डर नहीं। 176 ८-"० वे भिक्षुणियाँ मेरी मित्र नहीं हैं, किन्तु उनके मित्र मेरे मित्र हैं। यदि मैं उनके मित्रोंसे कहूँगा तो वे इन्हें कहेंगे ० ध्यान देंगी०। 177 ९-"० भिक्षु सुने-अमुक (भिक्षुणी-)आवासमें बहुतसी भिक्षुणियोंने संघमें है और यदि भिक्षुको ऐसा हो-वे भिक्षुणियाँ मेरी मित्र हैं। 178 १०-"० भिक्षु सुने-अमुक (भिक्षुणी-) आवासमें बहुतसी भिक्षुणियोंने संघमें फूट डाल दी है और यदि भिक्षुको ऐसा हो—वे भिक्षुणियाँ मेरी मित्र नहीं हैं, किन्तु उनके मित्र मेरे मित्र हैं।" 179 (६) घुमन्तू गृहस्थोंके साथ-साथ वर्षावास १-(क) उस समय एक भिक्षु ब्रज (= गायोंके रेवळ ) में वर्षावास करना चाहता था। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ व्रजमें वर्षावास करनेकी ।" 180 (ख) ब्रज उठकर वहाँ से चला गया । भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, जहाँ ब्रज उठकर जाए वहाँ जानेकी ।" 181 २-उस समय एक भिक्षु वर्षो प ना यि का के समीप आनेपर सार्थ (= कारवाँ ) के साथ जाना चाहता था। भगवान्से यह बात कही। "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ सा र्थ के साथ वर्षावास करनेकी ।" 182 ३-उस समय एक भिक्षु वर्पोप ना यि का के समीप आनेपर नावसे जाना चाहता था । भगवान्से यह वात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ नावपर वर्षावास करनेकी ।" 183 फूट डाल दी ! ! १ ऊपरकी तरह यहाँ दुहराओ ।