१८४ ] ३-महावग्ग [ 2014 (४) पिछली वोपनायिकास वचन दे अावाससे जान-लौटनेमें नियम १- (दोष) —क. "यदि भिक्षुग्रो ! भिक्षुने पिछली (वर्षोपनायिका)से वर्षावास करनेका वचन दिया हो और वह उस आवासको जाते वक्त बाहर उपोसथ करे, पीछे बिहार में जाय, आसन-वासन बिछाये, धोने-पीनेका पानी रखे, आँगनमें झाळू दे और वह उसी दिन करने लायक कामको वाकी न रखकर चला जाय, भिक्षुग्रो ! उस भिक्षुको पिछली वपिनायिका न मालूम हो तो भी तुरंत उसको दु क क ट का दोप हो । 207 ख. "० आँगनमें झाळू दे और वह उसी दिन करने लायक कामको बाकी रखकरचला जाय ० दुक्कटका दोष हो । 208 ग. ". आँगनमें झाळू देता है और दो-तीन दिन रहकर करने लायक कामको न बाकी रखकर चला जाता है ० दुक्क ट का दोप हो । 209 घ. "० आँगनमें झाळू देता है और दो-तीन दिन रहकर करने लायक काम वाक़ी रखकर चला जाता है ० दुक्क ट का दोष हो । 210 ङ. "० आँगनमें झाळू देता है और दो तीन दिन रहकर सप्ताहभर करने लायक कामको बाक़ी रखकर चला जाता है, और वह उस सप्ताहको बाहर बिताता है ० दुक्क ट का दोष हो । 21 I २-(दोष न हीं)-क. "० आँगनमें झाळू देता है और दो-तीन दिन रह सप्ताह भर करने लायक कामको बाक़ी रखकर चला जाता है और उस सप्ताहके भीतर ही लौट आता है • दोप नहीं। 212 ख. "० आँगनमें झाळू देता है और वह चातुर्मा सी को मु दी (=शरद पूनो आश्विन पूर्णिमा)के एक सप्ताह पूर्व करने लायक कामको वाकी रखकर चला जाता है तो भिक्षुओ ! चाहे वह भिक्षु उस आवासमें आवे या न आवे उस भिक्षुको० दोष नहीं । 213 ३—(दोष)-क. "० आँगनमें झाळू देता है और वह उसी दिन करने लायक कामको वाकी न रख चला जाता है ० दुक्कटका दोष हो । 214 ख. "० आँगनमें झाळू देता है और वह उसी दिन करने लायक कामको बाक़ी रखकर चला जाता है ग. "० आँगनमें झाळू देता है और दो-तीन दिन रहकर करने लायक कामको वाक़ी न रखकर चला जाता है ० । 216 "० आँगनमें झाळू देता है और दो-तीन दिन रहकर करने लायक कामको बाक़ी रखकर चला जाता है ० । 217 ङ. "० आँगनमें झाळू देता है और दो तीन दिन रहकर सप्ताह भरके करने लायक कामको बाक़ी रखकर चला जाता है और वह उस सप्ताहको बाहर बिताता है उस भिक्षुको ० दुक क ट का दोष हो । 218 ४–(दो प न हीं)-क. "० आँगनमें झाळू देता है, और दो-तीन दिन रह सप्ताह भरके कामको वाक़ी रखकर चला जाता है और उसी सप्ताहके भीतर लौट आता है, तो भिक्षुओ ! उस भिक्षुको० दोप नहीं । 219 ख. "० आँगनमें झाळू देता है, और वह चा तु सी कौ मुदी (=आश्विन पूर्णिमा)के एक सप्ताह पूर्व करने लायक कामको वाकी रखकर चला जाता है, तो भिक्षुओ ! चाहे वह भिक्षु उस आवासमें आये या न आये उस भिक्षुको० दोप नहीं । 220 वस्सूपनायिकक्खन्धक समाप्त ।।३।। 0 1 215 घ.
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२३५
दिखावट