पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४९

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१९८ ] ३-महावग्ग [ ८१५२ जाय तथा प्रातिमोक्षका पाठ किया जाय और आगामी चा तु र्मा सी की मु दी पूर्णिमाको अवारणा की जाय वह चुप रहे और जिसको पसंद नहीं है वह बोले ।'...... ग. धारणा--'संघने स्वीकार किया कि प्रवारणाका संग्रह किया जाय । इस समय उपो- सथ किया जाय तथा प्रातिमोक्षका पाठ किया जाय और आगामी चा तु र्मा सी को मु दी पूर्णिमा को प्रवारणा की जाय संघको पसंद है, इसलिये चुप है-उसे मैं ऐसा समनता हूँ।' (२) प्रवारणाको बढ़ा देनेपर जानेवाले के लिये गुंजाइश "यदि भिक्षुओ ! उन भिक्षुओंके प्रवारणा-संग्रह कर लेने पर एक भिक्षु ऐसा बोले-आवृसो ! मैं देशमें विचरण करने जाना चाहता हूँ। देशमें मेरा कुछ काम है ।' तो उससे ऐसा कहना चाहिये-'अच्छा आवुस ! प्रवारणा करके चले जाना ।' यदि भिक्षुओ ! वह भिक्षु प्रबारणा करते समय दूसरे भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करे तो वह उससे ऐसा कहे-आवुस ! मेरी प्रवारणामें तुम्हें अधिकार नहीं। मेरी प्रवारणा तुम्हारे साथ न होगी।' यदि भिक्षुओ ! प्रवारणा करते वक उस भिक्षुकी प्रवारणाको दूसरा भिक्षु स्थगित करे तो संघको दोनोंसे जिरह करके, बात करके, पता लगा करके, धर्मानुसार ( दंड ) करना चाहिये । 862 "यदि भिक्षुओ ! वह भिक्षु देशमें उस कामको भुगताकर उस चातुर्मासी कौमुदी ( पूर्णिमा ) के भीतर फिर आवासमें लौट आये तो उन भिक्षुओंके प्रवारणा करते वक्त यदि कोई भिक्षु उस भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करे तो वह उससे ऐसा कहे—'आवुस मेरी प्रवारणामें तुम्हारा अधिकार नहीं है । मेरी प्रवारणा हो चुकी है।' यदि उन भिक्षुओंके प्रवारणा करते वक्त वह भिक्षु किसी भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करे तो संघको दोनोंसे जिरह करके, वात करके, पता लगा करके, धर्मानुसार ( दंड ) करके प्रवारणा करनी चाहिये ।" 863 इस खंधकमें ४६ वस्तु हैं 1 पवारणक्खन्धक समाप्त ॥४॥