पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७०

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२०-" ९६४।३ ] प्रधाजनीय कर्म [ ३१३ "१६-भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु झगळालू ० होता है। ० । वह धर्मा भा स वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं 10169 १७-"वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-- । वह धर्मा भा स स म न हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं।०170 १८-"० वह अधर्म से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं। 171 १९-" वह अ धर्म से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं। 0 172 ० वह धर्म से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं । 0 73 २१-"० वह धर्मा भा स से स म न हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं।०। 74 २२-'"० अ धर्म से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं। 0 175 २३-"० वह अ धर्म से स म न हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं 10176 २४----"० वह धर्म से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं। 177 २५"" " वह धर्मा भा स से वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं।" 78 (२) नियस्स कर्म १-भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु मूर्ख, अजान, वहुत आपत्ति (अपराध) करनेवाला, अपदान (=आचार)-रहित, गृहस्थोंसे (अत्यधिक) संसर्ग रखनेवाला, प्रतिकूल गृहस्थ संसर्गसे युक्त होता है। यदि वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवुसो ! यह भिक्षु मूर्ख० प्रतिकूल गृहस्थ संसर्गसे युक्त है, आओ! हम इसका नि य स्स क र्म करें।' वह अधर्म से वर्ग हो उसका नियस्स कर्म करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है । 79 २-वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आवुसो! संघने अधर्मसे वर्ग हो इस भिक्षुका नियस्स कर्म किया है। आओ हम इसका नियस्स कर्म करें।' वह अ धर्म से स म न हो उसका नियस्स कर्म करते हैं। वह उस आवाससे चला जाता है। 80 ३~० धर्म से वर्ग हो ०1 81 ४-धर्मा भा स से वर्ग हो 01 82 ५-धर्मा भा स से स म न हो ० १ ०१ 183 २५~० वह धर्मा भा स से वर्ग हो उसका नि य स्स कर्म करते हैं। 84 (३) प्रव्राजनीय कर्म १-~~यहाँ एक भिक्षु कुल दूपक (और) दुराचारी होता है। वहाँ यदि भिक्षुओंको ऐसा होता है---'यह भिक्ष कुल दूपक और दुराचारी है। आओ, हम इसका प्रयाज नी य क र्म (वहाँसे हटा देनेका दंड) करें।' वह अधर्म से वर्ग हो उसका प्रव्राजनीय कर्म करते हैं । वह दूसरे आवासमें चला जाता है। 85 2-"वहां भिक्षुओंको ऐसा होता है-~~-'आनुसो! संघने अधर्मसे वर्ग । इस भिक्षुका प्रव्राजनीय कर्म किया है । आओ, हम इसका प्रव्राजनीय कर्म करें।' वह उसका अधर्मसे समग्न हो प्रयाजनीय कर्म करते हैं। 86 ३-० धर्मसे वर्ग हो । 87 ४-"धर्माभासले वर्ग हो०188 । 'तर्जनीय कर्मकी तरह यहाँ भी नम्बर पच्चीस तक (पृष्ठ ३११-१३) दुहराना चाहिये।