पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७३

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३१६ ] ३-महावग्ग ५-"० धर्माभाससे समग्र हो । ०१ | 214 २५-० धर्माभाससे वर्ग हो उसके तर्जनीय कर्मको माफ़ करते हैं।" 224 (२) नियस्स कर्मकी माफी १-"भिक्षुओ ! यहाँ एक भिक्षुका संघने नियरस कर्म किया है, (तब वह्) ठीकसे म्हता है, लोम गिराता है, निस्तारके लिये काम करता है और नियम्म कर्मकी माफ़ी चाहता है । वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है नियस्स कर्मकी माफ़ी चाहता है। आओ, हम इसके नियस्स कर्मको माफ़ करने । वह अधर्मसे वर्ग हो उसके नियस्स कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवासमे दूसरे आवास में जाता है।" 225 २-"वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है.--'आत्रुसो! संघने अवमसे वर्ग हो इस भिक्षुके नियम कर्मको माफ़ किया है । आओ, हम इसके नियस्स कर्मको माफ़ करें।' वह अधर्मसे समग्र हो उसके नियन्म. कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 226 ३-"० धर्मसे वर्ग हो ० । 227 ४.-". धर्माभाससे वर्ग हो । 228 ५-"० धर्माभाससे समग्न हो०।१० 1 229 २५-"० धर्माभाससे वर्ग हो उसके नियस्स कर्मको माफ़ करते हैं।” 249 (३) प्रजाजनीय कर्मको माफी १--"भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षुका संघने प्रव्राजनीय कर्म किया है। (तब वह) ठीकसे रहता है० प्रव्राजनीय कर्मकी माफ़ी चाहता है । वह अधर्मसे वर्ग हो उसके प्रव्राजनीय कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें चला जाता है। 250 २- "० वह अधर्मसे समग्न हो उसके प्रव्राजनीय कर्मको माफ़ करते हैं। 251 ३-० धर्मसे ४-० धर्माभाससे वर्ग हो । 253 ५-"० धर्माभाससे समग्न हो । ०२ 1 254 २५-"० धर्माभाससे वर्ग हो उसके प्रव्राजनीय कर्मको माफ़ करते हैं।" 274 (४) प्रतिसारणीय कर्मकी माफी १-"भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षुका संघने प्रतिसारणीय कर्म किया है । (तब वह) ठोकन रहता है० प्रतिसारणीय कर्मकी माफ़ी चाहता है । वह अधर्मसे वर्ग हो उसके प्रतिसारणीय कर्मको माफ़ करते हैं। वह उस आवाससे दूसरे आवासमें जाता है। 275 २-"० वह अधर्मसे समग्र हो उसके प्रतिसारणीय कर्मको माफ़ करते हैं. 1276 ३-"० धर्मसे वर्गहो० । 277 ४-"० धर्माभाससे वर्ग हो । 278 ५-"० धर्माभाससे समन हो । ०२ 1 279 २५-"० धर्माभाससे वर्ग हो उसके प्रतिसारणीय कर्मको माफ़ करते है। 299 हो० 1 252 १'तर्जनीय कर्म'को तरह नम्बर पच्चीस तक यहाँ भी दुहराना चाहिये । तर्जनीय'की तरह यहाँ 'तर्जनीय कर्म की माफीके लिये' दुहराना चाहिये । २