पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/४०२

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४-"और भी भिक्षुओ ! तीन बातोंसे युक्त तर्जनीय कर्म अधर्म कर्म० होता है-(१) सामने नहीं किया गया होता; (२) अधर्म (=अनियम) से किया गया होता है; (३) वर्गसे किया गया होता है।..5 ५-"और भी भिक्षुओ! तीन वातोंसे युक्त तर्जनीय अधर्म कर्म ० होता है-(१) विना पूछे०, (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे किया गया होता है। 6 (१) विना प्रतिज्ञा कराये०; (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे० । 7 -(१) आपत्तिके बिना०; (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे०।... 8 -(१) देशना (=क्षमा कराना) के बाहरकी आपत्तिसे०; (२) अधर्मसे०; (३) ६- वर्गसे०19 ९-"o-(१) क्षमा करा ली गई आपत्तिके लिये०; (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे 01..10 १०-"० -(१) प्रेरणा किये बिना० ; (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे० । II ११--".-(१) स्मरण कराये विना०; (२) अधर्मसे०; (३) वर्गसे 01.1..12 १२-"और भी भिक्षुओ! तीन बातोंसे युक्त तर्जनीय कर्म, अधर्म कर्म, अविनय कर्म० होता है-(१) आपत्तिका आरोप किये विना किया गया होता है; (२) अधर्मसे किया गया होता है; (३) वर्गसे किया गया होता है । भिक्षुओ ! इन तीन बातों से युक्त तर्ज नी य क र्म , अधर्म कर्म, अविनय कर्म, और ठीकसे न संपादित होता है"। 13 बारह अधर्म कर्म समाप्त ! (४) नियमानुसार तर्जनीय दंड १-"भिक्षुओ ! तीन वातोंसे युक्त तर्जनीय कर्म, अधर्म कर्म, विनय कर्म, और सुसंपादित (कहा जाता ) है-(१) सामने किया गया होता है; (२) पूछ-ताछ कर किया गया होता है; (३) प्रतिज्ञा (=स्वीकृति ) कराके किया गया होता है। भिक्षुओ ! इन तीन अंगोंसे युक्त तर्जनीय कर्म, धर्म कर्म, विनय-कर्म, और सुसंपादित ( कहा जाता ) है । 14 २-"और भी भिक्षुओ ! तीन बातोंसे युक्त तर्जनीय कर्म, धर्म कर्म० (कहा जाता ) है-(१) आपत्तिसे किया गया होता है; (२) देशना (=क्षमापन) होने लायक आपत्तिके लिये किया गया होता है, (३) न देशित (=जिसके लिये क्षमा नहीं मांगी गई है ) आपत्तिके लिये किया गया होता है।०।15 ३-".--(१) प्रेरित करके० ; ( २ ) स्मरण दिलाकर०; ( ३ ) आपत्तिका आरोप करके०1०116 -(१) सामने०; (२) धर्मसे०; (३) समग्र हो०। ०। 17 -(१) पूछकर०; (२) धर्मसे०; (३) समग्न हो०।०। 18 -(१) प्रतिज्ञा (=स्वीकृति) करके०; (२) धर्मसे०; ०; (३) समग्र हो०१०। 19 ७-".-(१) आपत्ति ( होने )से०; (२) धर्मसे०; (३) समग्र हो०।०। 20 -"o-(१) दे श ना (=क्षमा याचना ) करने लायक आपत्तिके लिये०; (२) धर्मने०; (३) समग्न हो००। 21 ९-".- (१) अदेशित आपत्तिके लिये०; (२) धर्मसे०; (३) समग्र हो०।०। 22 १०-"o-(१) प्रेरित करके० ; (२) धर्मसे०; (३) समग्रसे०१०। 23 ४-".-