पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/४१

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[३०] 11 ०६ " पृष्ठ (३) बुद्धका फिर उपोसथमें न शामिल होना ५११ १२. नियम-विरुद्ध और नियमानुसार प्रातिमोक्ष स्थगित करना ५१२ (१) नियम-विरुद्ध ५१२ (२) नियमानुसार ५१८ (क) पाराजिकका दोपी पगिादा हो (ख) शिक्षा प्रत्याख्यान करनेवाला परिषद्में हो १३. अपराधोंका यों स्वीकारना, और दोषारोप ५१५ (१) आत्मादान ५१५ (२) दोषारोपके लिये अपेक्षित वातें १०-भिक्षुणः-स्कंधक ५१९-४० ११. भिक्षुणियोंको प्रव्रज्या, उपसम्पदा, भिक्षुओंके साथ अभिवादन और भिक्षुणियोंके शिक्षापद १ कपिलवस्तु २. वैशाली (१) स्त्रियोंका भिक्षुणी होना (२) भिक्षुणियोंके आठ गुरुधर्म ५२० (३) भिक्षुणियोंकी उपसम्पदा ५२१ (४) भिक्षुणियोंका भिक्षुओंको अभिवादन ५२२ (५) भिक्षुओं और भिक्षुणियोंके समान और भिन्न शिक्षापद (६) धर्मका सार १२. प्रातिमोक्षकी आवृत्ति, दोष-प्रतिकार संघ-कर्म, अधिकरण-शमन और विनय-वाचन ५२३ (१) प्रातिमोक्षकी आवृत्ति ५२३ (२) दोपका प्रतिकार (३) संघ-कर्म ५२४ (४) अधिकरण-शमन (५) विनय-वाचन १३. अ-भद्र परिहास आदि ५२५ ३. श्रावस्ती पृष्ठ (१) भिक्षुओंका भिक्षुणियोंपर कीचळ- पानी डालना निपिद्ध ५२५ (२) भिक्षुओंका भिक्षुणियोंको नग्न गरीर दिखलाना निपिङ (३) भिक्षुणियोंका भिक्षुओं पर कीचळ- पानी डालना निपिद्ध (८) भिक्षुणियोंका भिक्षुओंको नग्न गरीर दिखलाना निषिद्ध १४. उपदेश-श्रवण आदि (१) उपदेश स्थगित करना (२) उपदेश सुनने जाना (३) भिक्षुओंका उपदेश स्वीकार करना ५२७ (४) भिक्षुणियोंको उपदेश सुननेके लिये न जानेपर दंड (५) कमरबंद (६) सँवारने के लिये कपळा लटकाना निपिद्ध, (७) सँवारनेके लिये मालिश करना निपिद्ध , (८) मुखके लेप, चूर्ण आदिका निषेध (९) अंजन देने, नाच-तमाशा, दूकान व्यापार करनेका निपेध ५२९ (१०) विल्कुल नीले, पीले आदि चीवरों का निषेध (११) भिक्षुणियोंके दायभागी (१२) भिक्षुको ढकेलनेका निपेध (१३) भिक्षुको पात्र खोलकर दिखलाना ५३० (१४) पुरुप-व्यंजन देखनेका निषेध (१५) भिक्षुओंका भिक्षुणियोंको परस्पर भोजन देने में नियम ५३१ ५. आसन-वसन, उपसम्पदा, भोजन, प्रवारणा, उपोसथ-स्थान, सवारी और दूतद्वारा उपसम्पदा ५३१ (१) भिक्षुओंका भिक्षुणियोंको आसन आदि देना ५३१ (२) ऋतुमती भिक्षुणीके नियम (३) उपसम्पदाके लिये शारीरिक दोपका ख्याल रखना " ) " " 1) 1, " "