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पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/५९६

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१०६४।३ ] भिक्षुओंका उपदेश स्वीकार करना [ ५२७ यह इन (भिक्षुओं)की जाया हैं, यह इनकी जारियाँ हैं; अव यह इन (भिक्षुओं) के साथ मौज करेंगी। "भिक्षुओ सारे भिक्षुणी-संघको उपदेशके लिये नहीं जाना चाहिये, जाये तो दुक्कटका दोष हो। भिक्षुओ! अनुमति देता हूँ, चार पाँच भिक्षुणियोंको (एक साथ) उपदेशके लिये जानेकी।" 35 ३--उस समय चार पाँच भिक्षुणियाँ (साथ) उपदेशके लिये जा रही थीं। लोग हैरान होते थे--यह इनकी जाया हैं० ।- "भिक्षुओ! चार पाँच भिक्षुणियोंको उपदेशके लिये नहीं जाना चाहिये, ०दुक्कट ० । अनु- मति देता हूँ, तीन भिक्षुणियोंको उपदेशके लिये जानेकी।" “एक भिक्षुके पास जाकर एक कंधेपर उत्तरासंग करके चरण में वंदना करके उकळू बैठ हाथ जोळ उनसे ऐसा कहना चाहिये-'आर्य ! भिक्षुणी-संघ भिक्षु-संघके चरणोंमें वंदना करता है, उपदेशके लिये आनेकी प्रार्थना करता है। भन्ते ! भिक्षुणी-संघको उपदेशके लिये आने (की स्वीकृति) मिलनी चाहिये। प्रातिमोक्ष-उपदेशक भिक्षुको पूछना चाहिये- --क्या कोई भिक्षु भिक्षुणियों का उपदेशक चुना गया है ? यदि कोई भिक्षु भिक्षुणियोंका उपदेशक चुना गया है, तो प्रातिमोक्ष-उद्देशक भिक्षुको कहना चाहिये- इस नामवाला भिक्षु भिक्षुणी-संघका उपदेशक चुना गया है, भिक्षुणी-संघ उसके पास जावे।' यदि कोई भिक्षुणी-संघको उपदेश नहीं देना चाहता, तो प्रातिमोक्ष-उद्देशकको कहना चाहिये—'कोई भिक्षु भिक्षुणी-संघका उपदेशक नहीं चुना गया है। अच्छी तरह (=प्रासादि-केन) भिक्षुणी-संघ (अपना काम) सम्पादित करे'।" 36 (३) भिक्षुओंका उपदेश स्वीकार करना १-उस समय भिक्षु उपदेश (की प्रार्थना) को स्वीकार न करते थे। ०-- "भिक्षुओ ! भिक्षुको उपदेश अ-स्वीकार नहीं करना चाहिये, दुक्कट० " 37 २-उस समय एक भिक्षु अजान था, भिक्षुणियोंने उसके पास जाकर यह कहा-- "आर्य ! उपदेश (की प्रार्थना)को स्वीकार करो।" "भगिनी ! मैं अजान हूँ, कैसे मैं उपदेश (की प्रार्थना)को स्वीकार करूँ।" "स्वीकार करो आर्य ! उपदेश (की प्रार्थना)को, भगवानने विधान किया है-भिक्षुको उप- देग अस्वीकार नहीं करना चाहिये।" भगवान्से यह वात कही- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, अजानको छोळकर वाकीको उपदेश (की प्रार्थना) स्वीकार करने की।" 38 ३-उस समय एक भिक्षु रोगी था, भिक्षुणियों ने उसके पास जाकर यह कहा-०।- "भगिनी! मैं रोगी हूँ, कैसे में उपदेश (देनेकी प्रार्थना) को स्वीकार करूँ।" "स्वीकार करो आर्य ! भगवान्ने विधान किया है, अजानको छोळ बाकी को उपदेश (की प्रार्थना) स्वीकार करनेकी ।" भगवान्ने यह बात कही ।- “भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ अजान और रोगीको छोळ वाकीको उपदेश (की प्रार्थना) स्वीकार करनेकी।" 39 ४–उस समय एक भिक्षु गमि क (-यात्रापर जानेवाला) था। ०।-- 'अनुमति देता हूँ, अजान, रोगी और गमिकको छोळ वाकीको उपदेश (की प्रार्थना) स्वीकार करनेकी।" 40 ५-उन समय एक भिक्षु अरण्यमें विहार करता था। ०।-