पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/६०४

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आनेके क्रमके अनुसार १०१५।६ ] प्रतिनिधि भेज भिक्षु-संघमें प्रवारणा [ ५३५ मिलकर स्वर सहित पाठ) करती समय बिताती थीं। भगवान्से यह बात कही-- "० अनुमति देता हूँ आठ भिक्षुणियोंको बृद्धपनके अनुसार वाकीको आनेके क्रमके अनुसार (उठनेकी)।" 76 २-उस समय भिक्षुणियाँ --भगवान्ने आठ भिक्षुणियोंको वृद्धपनके अनुसार और वाकीको आनेके क्रमके अनुसार (उछनेकी) आज्ञा दी है-- (गोच) सभी जगह आठ ही भिक्षुणियाँ वृद्धपनके अनुसार प्रतीक्षा करती थीं, और बाकी आनेके क्रमके अनुसार (चली जाती थीं)! भगवान्से यह बात कही।- 'अनुमति देता हूँ, भोजनके समय आठ भिक्षुणियोंको वृद्धपनके अनुसार और बाकीको और सब जगह वृद्धपनके अनुसार प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिये, दुक्कट 177 (५) प्रवारणाके नियम १-उस समय भिक्षुणियाँ प्र वा र णा नहीं करती थीं।०-- "० भिक्षुणियोंको प्रवारणा-न-करना नहीं चाहिये, जो प्रवारणा न करे उसका धर्मके अनुसार (दंड) करना चाहिये।" 78 • भिक्षुणियां अपनेमें प्रवारणा करके भिक्षु-संघमें प्रवारणा नहीं करती थीं।०- भिक्षुणियोंका अपन्में प्रवारणा करके भिक्षुसंघमें प्रवारणा न करना ठीक नहीं; जो न करे उसे धमके अनुसार (दंड) करना चाहिये ।" 79 ३-० भिक्षुणियोंने भिक्षओंके साथ एक समय प्रवारणा करते कोलाहल किया ।- भिक्षुणियोंको भिक्षुओंके साथ एक समय प्रवारणा नहीं करनी चाहिये; ° दुक्कट ० ।" 80 ४-० भिक्षुणियाँ भोजनसे पहिले प्रवारणा करती थीं, (उसमें उन्होंने भोजनके) कालको " बिता दिया 10- 44 अनुमति देता हूँ, भोजनके बाद प्रवारणा करनेकी।" 81 ५-भोजनके वाद प्रवारणा करते विकाल हो गया ।०-- • अनुमति देता हूँ, आज (अपने संघमें) प्रवारणा करके कल भिक्षु-संघमें प्रवारणा करने- 40 की।" 82 11 o (६) प्रतिनिधि भेज भिक्षु-सङ्घमें प्रवारणा उस समय सारे भिक्षुणी-संघने (भिक्षुसंघमें जा) प्रवारणा करते कोलाहल किया।0- अनुमति देता हूँ, भिक्षुणी-मंघकी ओरसे भिक्षु-संघमें प्रवारणा करनेके लिये एक चतुर ममर्थ भिक्षुणीको चुननेकी ।" 83 "और इस प्रकार चुनाव (=संमंत्रण) करना चाहिये--पहिले उस भिक्षुणीसे पूछकर चतुर समर्थ भिक्षुणी संघको मूचित करे- "क. न प्ति-'आर्या संघ ! मेरी सुने-यदि संघ उचित समझे, तो भिक्षुणी-संघकी ओरसे भिक्ष-संघमें प्रवारणा करनेके लिये इस नामवाली भिक्षुणीको चुने—यह सूचना है। "ख. अनु था व ण-(१) आर्या संघ ! मेरी सुने—संघ भिक्षुणी-संघकी ओरसे भिक्षु-संघमें ५मिलाओ महावरग, प्रवारणा-स्कन्धक (पृष्ठ १८५) ।