चाहते होंगे। आपको यह समझने का क्या अधिकार है कि
उनका विचार भयावह है? आपके सौ रुपए चले जायँगे तो
आप मर जायँगे। पर संसार में कितने ही ऐसे हैं जिनकी
सारी संपत्ति भी जाती रहे तो ऊँः तक नहीं करते। ऐसे लोग
हो गए हैं और अब भी हैं। आप उनको अपने ही पैमाने से
क्यों नापते हैं? आप अपने छोटे विचारों में पड़े रहें; आपके
लिये वही सब कुछ हैं। आपको वे शुभदायक हों। आप जब
तक चाहें, वे आपके पास बना रहें। पर ऐसे लोग भी हैं
जिन्होंने सत्य को देखा है और वे इस कुल्हिया में नहीं समा
सकते, जिन्होंने इसे फोड़ दिया है और जो इससे बाहर निक-
लना चाहते हैं। उनके लिये संसार और इसके सारे सुख
कीचड़ की खुरी हैं। आप उन्हें अपने विचारों में क्यों बद्ध
करना चाहते हैं? आप अपनी इस लत को सदा के लिये त्याग
दीजिए और सबको स्थान दीजिए।
मैंने एक बार नावों के एक बेड़े की बात पढ़ी थी। वह दक्षिण के किसी टापू के पास बवंडर में पड़ गया था। इल- स्ट्रेटेड लंडन न्यूज (Illustrated London News) ने उस का चित्र भी छापा था। सब नावें डूब गई थीं और केवल एक अंग्रेजी नाव बची थी। चित्र में यह दिखलाया गया था कि डूबनेवाले लोग अपनी नावों पर खड़े होकर उन लोगों को जो बचकर नाव पर जा रहे थे, साधुवाद दे रहे थे। वैसे ही वीर और उदार बनो। जहाँ तुम जा रहे हो, वहाँ दूसरों