पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/१३२

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होगी। यदि उसमें बुद्धि है तो उसे किसी पद की प्राप्ति में कोई बाधा नहीं है। इस देश में मैंने कोई गिरजा ऐसा नहीं देखा जहाँ गोरे और हबशी साथ साथ घुटने टेककर प्रार्थना करते हों। तनिक इस पर तो ध्यान दीजिए; मुसलमानी धर्म अपने सारे अनुयायियों को बराबर बनाता है। देखिए; मुसल- मानी धर्म में यही विशेषता है। कुरान में बहुत स्थलों में अनेक विषयों को बातें पाई जाती हैं। पर इसकी कोई चिंता नहीं। मुसलमानी धर्म संसार में जो उपदेश करता है, वह यही अपने धर्मवालों का स्पष्ट भ्रातृभाव है। यही मुसलमानी धर्म का मुख्य मार्ग है; और सारी बातें जो स्वर्गादि के विषय में हैं, वे मुसलमानी धर्म नहीं हैं। वे सब बढ़ावे की बातें हैं।

हिंदुओं में भी एक जातीय भाव है। वह आध्यात्मिकता है। संसार के किसी धर्म में, किसी धर्म-पुस्तक में ईश्वर के लक्षण करने पर इतना श्रम नहीं किया गया है। उन लोगों ने आत्मा का ऐसा लक्षण करने का प्रयत्न किया है कि किसी सांसारिक संसर्ग से उसका नाश नहीं हो सकता। आत्मा ईश्वरी है; और आत्मा के स्वरूप को समझकर उसे शरीर न जानना चाहिए। वही अद्वैत का भाव, ईश्वर का साक्षात्कार, सर्व- व्यापक के विचार का सर्वत्र उपदेश किया गया है। उनका विचार है कि यह बात कि वह स्वर्ग में है और अन्य सारी बातें प्रलाप मात्र हैं। यह सब केवल मनुष्यों के विचार हैं कि सब को मनुषयों ही का रूप दे रखा है। स्वर्गादि जो पहले थे,