पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/१४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
[ १३९ ]

दाय खड़ा करते हैं, आप साम्यवाद के विरुद्ध हो जाते हैं। फिर तो समता नाम को भी नहीं रह जाती। मुसलमान विश्व- व्यापी भ्रातृभाव का उपदेश करते हैं, पर उसका सचमुच क्या फल हुआ? जो मुसलमान नहीं है, वह भ्रातृभाव में क्यों नहीं लिया जाता? उसका वे लोग गला क्यों काटते हैं? ईसाई विश्वव्यापी भ्रातृभाव की बातें करते हैं; पर जो ईसाई नहीं है, उनके विचार से वह वहाँ जाता है, जहाँ वह सदा आग में जलता रहेगा।

अच्छा चलो, हम लोग संसार में विश्वव्यापी भ्रातृभाव और साम्यवाद को चलकर ढूँढ़ें तो सही। पर मेरी यह बात मानना कि जहाँ कहीं तुमको ऐसी बातें सुनाई दें, चुपचाप दूर खड़े रहना और उनसे बचना; क्योंकि ऐसी बातों की ओट में प्रायः घोर स्वार्थ छिपा रहता है। जाड़े के दिनों में जब बादल होता है, तब गरजता बहुत है पर बरसता कुछ नहीं; पर बरसात के दिनों में बादल गरजता नहीं, वह पानी काट देता है और सारी पृथ्वी पानी से भर जाती है। इसी प्रकार जो सच्चे कर्म करनेवाले हैं, जो सचमुच अपने अंतःकरण से विश्वव्यापी भ्रातृभाव को समझते हैं, वे बहुत बका नहीं करते और न विश्वव्यापक भ्रातृभाव के लिये संप्रदाय ही खड़ा करते हैं। पर उनके आचार, कर्म, व्यवहार और सारा जीवन इस बात को प्रमाणित करता है कि उनमें सचमुच विश्वव्यापी भ्रातृभाव का ज्ञान है, और उनको सबसे प्रेम है और सबके साथ