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पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/२१८

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लेकर आज तक के दार्शनिकों का विश्वास रहा है। यहूदी लोगों का ऐसे ही सिद्धांत पर विश्वास था। ईसा मसीह का भी इस पर विश्वास था। वह बाइबिल में कहता है कि ‘मैं इब्राहम से भी पहले था।’ एक और जगह वह कहता है कि ‘यही इलियास था जो आगे को हुआ।’

सारे धर्म जो भिन्न भिन्न जातियों में भिन्न दशा में प्रच- लित हुए हैं, एशिया खंड ही से उत्पन्न हुए हैं और एशिया के लोग ही उन्हें ठीक ठीक समझ सकते हैं। जब वे मातृभूमि के बाहर गए, तब उनमें मिथ्या बातें मिल गई। ईसाई धर्म के अति गंभीर और उदार विचारों को यूरोप में इस कारण लोगों ने नहीं समझा कि लिखनेवालों के भाव और विचार उनके लिये विदेशी थे। उदाहरण के लिये मरियम के चित्र को ले लीजिए। सब चित्रकार अपने अपने विचार के अनुसार मरियम के चित्र बनाते हैं। मैंने ईसा के अंतिम भोजन के सैंकड़ों चित्र देखे हैं। ईसा को मेज पर बैठाया गया है। पर ईसा मेज पर कभी नहीं बैठते थे। वे अपने शिष्यों के साथ भूमि पर बैठते थे और उनके सामने एक प्याला रहता था जिसमें वे अपनी रोटियाँ डुबाकर खाते थे। वह रोटी आपकी रोटी सी नहीं होती थी। उस कटोरे वा प्याले में सालन रहता था और वे उसीमें रोटियाँ डुबाकर खाते थे। ईसा के इस वाक्य से यही सिद्ध होता है―“वही जो आज मेरे साथ रोटियाँ डुबाकर खा रहा है, मुझे पक-