सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/२२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
[ २१९ ]

झपटी। वह एक भेड़ के ऊपर टूटी कि इसी बीच में उसे वहीं बच्चा उत्पन्न हुआ और वह मर गई। वह सिंह का बच्चा भेड़ों के झुंड में पला। वह घास चरता था और में में करता था। उसे इसका ज्ञान नहीं था कि मैं सिंह हूँ। एक दिन एक सिंह भेड़ों के झुंड के सामने आ गया। उसे यह देखकर आश्चर्य्य हुआ कि झुंड में एक बड़ा सिंह है जो घास चरता और में में करता है। सिंह को देखते ही सब भेड़ें भागीं और वह सिंह भी जो भेड़ों में पला था, उन्हीं के साथ भागा। सिंह अवकाश की प्रतीक्षा करता रहा। उसे एक दिन वह भेड़ों में रहनेवाला सिंह सोता मिला। उसने उसे जगाया और कहा कि तुम सिंह हो। वह नहीं कहकर में में करने लगा। पर वह सिंह उसे पकड़कर एक झील के किनारे ले गया और बोला कि अपनी छाया तो देखो कि मेरा और तुम्हारा रूप एक है या नहीं। उसने देखकर कहा कि हाँ, है तो। फिर वह सिंह गरजा और उससे बोला―गरजो। भेड़ों में रहनेवाले सिंह ने गरजने का उद्योग किया और वह वैसे ही गरजने लगा। फिर वह भेड़ न रह गया। मित्रो, मैं तो तुमसे यही कहना उचित सम- झूँगा कि तुम सिंह हो।

यदि घर में अंधकार है, तो क्या तुम यह रोते पीटते फिरोगे कि―"अंधकार है। अंधकार है"? कभी नहीं, इसका उपाय यही है कि दीपक जलाओ, अंधकार भाग जायगा। प्रकाश के उत्पन्न करने का एक मात्र उपाय यही है कि तुम