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पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली खंड 3.djvu/९

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कर्मयोग
 

जानने के लिये, उस पर किया जाता है, कर्म है। कर्म-शब्द का यह विशाल अर्थ है। हम सभी लोग अपने जीवन में कर्म करते रहते हैं। मैं आप लोगों से वार्तालाप कर रहा हूँ, यह कर्म है। आप लोग सुन रहे हैं, वह कर्म है। हम लोग जो साँस लेते हैं, वह कर्म है। हम लोग चलते हैं, यह कर्म है। बात करते हैं, कर्म है। प्रत्येक क्रिया, शारीरिक वा मानसिक, जो हम करते हैं, कर्म है, वह निरंतर अपने चिन्ह हम पर छोड़ती जाती है।

कुछ काम ऐसे होते हैं जो अनेक छोटे कामों का जोड़, उनका परिणाम होते हैं। समुद्र के किनारे खड़े हुये तटभूमि से टकराती लहरों का शब्द सुनकर हम कहते हैं, वह कितना गंभीर और प्रबल है; फिर भी हम जानते हैं कि एक बड़ी लहर छोटी-छोटी लाखों-करोड़ों लहरों से बनती है। उनमें से प्रत्येक शब्द करती है परंतु हम उन्हें पकड़ नहीं पाते। जब वे एक विशाल समष्टि बन जाती हैं तभी उस गर्जन को हम सुन पाते हैं। इसी तरह हृदय का प्रत्येक स्पंदन कर्म के सामूहिक रूप का एक अंश है। किन्हीं कर्मों को हमें अनुभूति होती है और हम उन्हें पहचान जाते हैं; साथ ही वे अनेक छोटे कर्मों का समुच्चय हैं। यदि आप वास्तव में किसी मनुष्य का चरित्र जानना चाहते हैं तो उसके बड़े कर्मों को मत देखिये। कोई भी मूर्ख समय पाकर धीमान् हो सकता है। मनुष्य को उसके छोटे- छोटे काम करते देखिये; वे ही वास्तव में किसी महापुरुष का 'सच्चा चरित्र आपको बता सकते हैं। मौका पड़ने पर छोटे-से-