पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/११

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अनुक्रम

प्रकाशकीय
आत्मकथ्य
हम जो हम हैं
सोचना सिर्फ सोचना नहीं होता
चिड़िया-उड़
पैरोल मांगती लड़कियां
अनुकूलन
युद्ध लड़ रही हैं लड़कियां
मुसलमान से नफरत करो
क्या है कविता
कवि को खत
जौहर करो पद्मावती
वे आये थे साहब
औरतें पागल होती हैं
हमने जिसे मां कहा
वे राष्ट्रवादी नहीं हैं
ये बचाएंगे
जिन्हें महारत थी
फ्रेंड रिक्वेस्ट
घंटा घर चौक
ठीकरा
कोई तो है
अपने अपने गणित
कहाँ थे कवि तुम
जाने वो कैसे लोग थे
चेतन आदमी
धर्म
दंगो के बाद

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