पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/१२

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घिसटने से इंकार करें
झूठ के पांव
लड़की हो तुम
मृत्यु की तैयारी पूरी रखो
बोलना मत
नियम
गण दिल्ली आ रहा है
कौन लोग थे वे
मुझे बनारस नहीं जाना
नग्न होना
बिना लड़खड़ाये
स्टेचू
गलती जनता की थी
हम तुम्हें झुक कर सलाम करते हैं।
मकड़ी
किसान जानता था
वे किसान थे
90 दिन
किसान के पास
मजदूर
मुझे उम्मीद सिर्फ स्त्रियों से है
चाल-चलन
आओ खुदाई करें
भूल जाता हूं बहुत कुछ
नग्न होना
सुंदर स्त्रियां
राजा और शतरंज
क्या है कविता
स्थगित मत करना कविता
तुम्हारे चले जाने के बाद
जब कोई तुम्हें सेक्युलर कहे

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