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पैरोल मांगती लड़कियां

चिड़िया सी फुदकती उड़ती चहकती लड़की
रस्मी पिंजरे में कैद कर दी गयी है
लाल जोड़े, लाल सिंदूर, और शर्म की लाली में
लाल हुई लड़की
रक्तिम आभा और उत्साह से स्वीकारती है पिंजरा

पिंजरा लड़की की कांति छीनता है सबसे पहले
बेड़ियां कस देता है
पंख उतार लेता है
और कहता है
उड़ना चाहो
तो उड़ सकती हो
हम लड़कियों पर बंदिश नहीं रखते
हम आधुनिक सोच के लोग हैं

लड़की उड़ती नहीं
उड़ नहीं सकती
वह पैरोल मांगती है सिर्फ
कि लौट आएगी वापिस,
कुछ दिन
अपने हिसाब से
जी लेने की छुट्टी दे दो

पैरोल पर गए कैदी को लेकिन
सशर्त दी जाती है छुट्टी

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 17