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ये बचाएंगे
निजाम ने खरीद लिए कुछ सियार
कि ये बचाएंगे
ऊँची आवाज में जब हुआँ हुआँ करेंगे
तो भय से दुबक जाएगा अवाम
निजाम ने खरीद लिए कुछ खबरनवीस
कि ये बचाएंगे
जब हरा हरा दिखाएंगे सब ओर
तो जन सावन का अँधा बना ही रहेगा
निजाम ने खरीद लिए कुछ मठाधीश
कि ये बचाएंगे
जब कहेंगे अपने अनुयायियों से
कि निजाम आपके लिए चिंतित बहुत है
तो यकीन ही करते रहेंगे अनुयायी
निजाम ने खरीद लिए कुछ मदारी
कि ये बचाएंगे
जब चौक चौक लगाएंगे मजमा
निजाम की तारीफों का राग गाएंगे
तो तारीफ में लोग पगला ही जाएंगे
निजाम ने खरीद लिए कुछ सफेदपोश
कि ये बचाएंगे
जब झक सफेद बस्त्रो से दिखाएंगे शुचिता के संदर्भ
आर जनता इसे ही शुचिता समझ
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 39