[ नयाँ अध्याय (९) आपस्तंब श्रौतसूत्र संपादक R. Garbe Bibi Ind. 1882-1903 (१०) हिरण्यकेशी श्रौतसूत्र सटीक, धानन्दाश्रम संस्कृत ग्रन्धावली पूना। (११) क. मानव श्रौतसूत्र Books l-V. edited by Mr. Knaurer Set. Petersburg 1900 ख० मानव श्रौतसूत्र का चयन by J. M. Van Gelder Leyden 1921 (१२) वैतान श्रौतसूत्र जर्मन अनुवाद सहित, अनुवादक R.Gar- be. London &Strassburg 1878. गृह्य सूत्र ब्राह्मण ग्रन्थों में गार्हस्थ संस्कारों का लगभग प्रभाव होने के कारण गृह्यसूत्रों की रचना की आवश्यकता पड़ी, अतएव स्वाभाविक रूप से ही गृह्यसूत्रों का काल श्रौतसूत्रों के पीछे का है। ऋग्वेद का सम्बन्ध शाङ्खायन और श्राश्वलायन गृह्यसूत्रों से है, पहले में और दूसरे में चार अध्याय हैं । शौनक के गृह्य सूत्र का भी कई स्थानों पर उल्लेख है किन्तु सम्भवतः अब उसका अस्तित्व ही नहीं है । शाङ्खा- यन गृह्यसूत्र ही मिलता जुलता शाम्बव्य गृह्य सूत्र है, जो कौषीतकि शाखा से सम्बन्ध रखता है। किन्तु यह अभी तक पूर्ण रूप से मिल नहीं सका है। कौपीतकि गृह्यसूत अवश्य ही पृथक् छपा है । सामवेद का प्रधान गृह्यसूत्र गोभिल सूत्र है, जो गृह्यसूत्रों में सबसे प्राचीन, सबसे अधिक पूर्ण, और सबसे अधिक रोचक है। इसका प्रयोग सामवेद की दोनों शाखा करती रही हैं, द्राह्ययण शाखा के खदिर गृह्यसूत्र ले सामवेद की राणांयनीय शाखा भी काम लेती रही है, किन्तु यह 1
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