[वेद योर उनका साहित्य ८० दरिद्रता का नाश करो-~-हे धन हीन विरूप कुरूप और सदा रोने वाली दरिद्वा ! निर्जन पर्वत पर लायो । नही तो बन के समान युद्ध अन्त:करण वाले मनुष्य के पराक्रम से हम तेरा नाश कर देंगे। ऋ० १०।१५५।१ कारीगर दरिदता का नाश करता है-जो कारीगर है वह दरिद्रता रूपी समुद्र को सरलता से पार करता है। इसलिए कारीगर बनो। लोहे का कारबार -जब लोहे के कारखाना विशेष पुरुषार्थ के साथ- खोले जावेंगे तय ऐश्वर्य का शत्रु दारिद्रय पानी के बुल-बुलों की तरह स्वयं ही नष्ट हो जायगा। ऋ००1१५५ ।४ जुआ खेलने का परिणाम-यह मेरी स्त्री मुझे कष्ट नहीं देती थी, न कभी क्रोध करती श्री तथा अपने परिजनों के माथ मुझसे प्रेम करने वाली थी, जुए के कारण मुझे वह भी गंवानी पड़ी। ऋ० १०।३३।२ जिमके ज्ञान और धन का नाश जुथा करता है उसकी स्त्री का दूसरे ही उपभोग करते हैं । माता-पिता और भाई उसके विषय में कहते है कि हम इसको नहीं जानते इसे बांधकर ले जायो । ०१०।३।६ ये जुए के पासे नीच होने पर भी ऊँचे हैं। इनके हाथ न होने पर भी हाथ वाली को हराते हैं । चौथी पर फेके हुए ये पसे जलते हुए भंगारे हैं, जो स्वयं शीतल होने परभी हदय को जलाते है I
पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/८१
दिखावट