[ वेद और उनका साहित्य वीर का लक्षण-उत्तम वीर वह है जो शत्रुओं को दूर भगा- ता है और सब की प्रशसा अपनी योर खीचता है। सब को उचित है कि वे उत्तम वीरों की ही प्रशंसा करें सून कातना-सून कान कर, उसे रंगकर, उसकी गाँठों को दूर करके, उसका कपड़ा बुनो यह तेजस्वियों का मार्ग है। ऋ० १११६ एक मनुष्य ताना पलावे दूसरा बाना खोले। इस तरह हम इस अच्छे मैदान में खुनाई करें। ये खूटियाँ हैं। जो बुनने के स्थान में लगाई है ये सुन्दर नाले और घड़ियाँ है जो बाने के मतलब की हैं । ऋ० १०11३०१२ राजा-राजा गमन शील राष्ट्रों का स्वामी है इसलिये इसके पास सब प्रकार का क्षात्र तेज रहे। राजन्ममिति-हे राजन् नु हता पूर्वक शत्रुषों को नाश कर । राज्य भर के श्रेष्ट जन मिलकर नेरी स्थिरता के लिये समिति बनावें । शरीर दाह-हे जीव ! तेरे प्राण विहीन मृत देह की सद्गति करने के लिये इम गाहंपत्य और शाहवनीय भाग को तेरे देह में लगाता हूँ। इन दोनों अग्नियो द्वारा तु परलोक की श्रेष्ठ गति को पास हो। श्व १८।२५६ स्वराज्य-उदार और दूरदर्शी सजन मिलकर स्वराज्य की व्य- ऋ०६६ । ६ राज्याभिषेक के समय उपदेश-हे राजा ! तेरा धावाहन है। तू मा, स्थिर रहा चंचल न हो सब प्रजा तुके चाहे। और तुम से राष्ट्र की हानि न हो। र.. | १७२।. वस्था करें।
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