पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/९५

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& [ वेद योर उनका साहित्य मत्र रोग को दया-शरकण्डा मूत्र के बन्ध को खोल कर अधिक पिशाब लाता है यह हम जानते हैं। पिशाब के लिये सलाई लगाना-तेरे मूत्रद्वार को मैं खोलता हूँ। जैसे तालाब के बन्ध को खोलने से पानी टूट जाता है वैसे ही तेरा मुत्र बाहर पावेगा। कुष्ट चिकित्सा-रजनी बनस्पति-बो काली सफेद तथा मटिया रंग की है सफेद कोद को ठोक कर देती है। ब्राह्मण का अपमान-उग्रोराजा मन्य मानो वाह्मणं यो चिकिम्मति परा तसिंध्यते राष्ट्र ब्राह्मणे यत्र जीयते । अ० ११।६ तदै राष्ट्रमाश्रयति नावं भिन्नाभिवोदकम् । प्रमाणं यत्र हिंसंति सद्राष्ट्र हन्ति दच्छन ।। २। ११ । म योजश्च तेजश्न सहश्च बलंच बाकचेन्द्रियंच श्रीश्व धर्मश्च ।। नम चतमं च राष्ट्र च विशश्च विषि यशश्च वर्चश्व द्रविणंच ॥ आयुश्च रूपच नामच कीर्तिश्च प्राणश्चापानश्च चतुश्च श्रोच । पपश्चरसंवाने चालाये चर्तचऽसत्यं चेष्टंच पूतंच प्रजाच पशवत्र ॥ तानि सर्वाणि, थपकामन्ति ब्रह्मगर्वामाददानस्य जिनतो ग्राह्मण शामेयस्य ॥ स० १२।५।।5।।१०।११ मुण्डन-यह मुघड़ नाई धुरा लेकर आगया है। वह जल्दी गर्म पानी लेकर थावे थोर मुण्डन करे । म०६10८ । घालों को काटे छुरा, बालों को जल से भिजावे। इसी से पालक दीर्घायु प्राप्त करे। ५०६.६६३