पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१०१

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त्रयोदश परिच्छेद
 

को आक्रमण कर लेती हैं और प्रायः प्रीति मित्रताका परिच्छद धारण कर उन मानसों में प्रविष्ट होती है जहाँ वह अपने मुख्य स्वरूप के साथ जाना चाहती तो पास फटकने न पाती। संक्षेप यह कि पुत्री तुम इन बातों पर विचार करो कि तुमारा कर्तव्य तुम्हारे पितृव्य की ओर क्या है और यदि उनको यह ज्ञात होगा तो वह कितना रुष्ट और खिन्न होंगे। अतएव मेरे परामर्श के अनुसार तुमको उचित है कि उस कर्तव्य के साम- ने इस धुनको हृदय से दूर करो, क्योंकि अभीतक कुशल है। जहाँ इसने अपना अधिकार तुम्हारे हृदय पर कर लिया फिर सहस्रशःप्रयत्न करोगी कुछ न बन पड़ेगा"।

रोजाविला―"कामिला तुम सत्य कहती हो। मुझे भी विश्वास होता है कि फ्लोडोआर्डो के साथ जो एक प्रकार का मेरा सम्बन्ध हो गया है वह केवल क्षणिक और कल्पित है, जिससे मैं सुगमता के साथ मुक्त हो सकती हूँ। अच्छा अब तुम समझो कि मैं उससे प्रीति नहीं रखती बरन अब मुझे उलसे कुछ घृणासी होती जाती है। क्योंकि तुम्हारे कथन से ज्ञात होता है कि उसके कारण मेरे दयालु और भले पितृव्य को संताप हो सकता है"।

कामिला―"(मुसका कर) क्या तुमको अपने कर्तव्य और अपने पितृव्य के उपकारों का इतना ध्यान है"।

रोजाविला―"निस्सन्देह कामिला, मुझे इतना ध्यान है और विश्वास है कि थोड़े दिनों में तुम भी यही कहोगी। वह दुष्ट फ्लोडोआर्डो मुझको इतना दुःख दे, वह मन्दभाग्य वेनिस में क्यों आया। मैं तुमसे सत्य कहती हूँ कि मैं फ्लोडोआर्डो के साथ अब तनिक स्नेह नहीं रखती"॥

कामिला―"ऐं क्या फ्लोडोआर्डो के साथ तनिक स्नेह नहीं रखतीं"।