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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१२४

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वेनिस का बांका
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रोजाबिला―(तनिक तीखी चितवन से परन्तु ऋजुता के साथ) "कौण्ट फ्लोडोआर्डो क्या आप फिर मुझे कुढ़ाना चाहते हैं"॥

फ्लोडोआर्डो―"यह बात तो बहुत जल्द मेरे अधिकार से बाहर हो जायगी, कदाचित् आप समझ गई होंगी की अब मेरी क्या कामना है"।

रोजाबिला―"फिर यात्रा करने की"

फ्लोडोआर्डो―"जी हाँ, और इस बार वेनिस से गया तो फिर न आने की"।

रोज़ाबिला―(अनुराग के साथ) "फिर न आओगे? नहीं ऐसा क्या करोगे! हाय! तुम मुझे छोड़कर चले जावोगे" यह कह कर वह अपनी मूर्खता पर अत्यन्त लज्जित हुई और फिर सँभल कर कहने लगी "मेरा अभिप्राय यह था कि तुम मेरे पितृव्य को छोड़ कर चले जावोगे? मैं अनुमान करती हूँ कि तुम परिहास कर रहे हो"॥

फ्लोडोआर्डो―"नहीं नहीं! राजात्मजे मैं सत्य कहता हूँ और अबकी बार वेनिस से गया तो फिर नहीं आने का"॥

रोजाबिला―"फिर भला आप जाइयेगा कहाँ?"

फ्लोडोआर्डो―"माल्टा के द्वीप में, इस लिये कि वहाँ के निवासियों की, जो बरबरी के डाकुओं से संग्राम कर रहे हैं सहायता करूँ संभव है कि ईश्वरानुकम्पा से मैं किसी पोत का कमाउण्ड हो जाऊँ, उस समय मैं उसका नाम रोजाबिला रक्खूँगा, और संग्राम समय भी रोजाबिला का नाम लेकर युद्ध करूँगा, इससे परमेश्वर ने चाहा तो वैरी का प्रहार मुझ पर सफल न होगा"॥

रोजाबिला―"उहँ 'यह तो आप मेरा उपहाँस करते हैं मैंने आपके साथ कोई ऐसी बुराई नहीं की है कि आप इस