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वेनिस का बाँका
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उनकी प्रतिज्ञा से पूरा एक घण्टा अधिक बीत चुका'॥

एक कर्मचारी―'मुख्य अभिप्राय तो यही है न, कि वह अबिलाइनों को लाकर उपस्थित करें चाहे एक मास ही क्यों न बीत जाय'॥

अंड्रियास―तनिक आपलोग चुप रहिये देखिये बाहर किसी के पैर की चाप मालुम होती है।"

नृपति महाशय का कथन समाप्त भी न होने पाया था कि उस आयतन का द्वार अचाञ्चक खुल गया और फ्लोडोआर्डो खट से आयतन में प्रविष्ट हुआ, उस समय वह एक (चुगा) से आवृत था। उसके केशजाल विखरे हुये थे, और एक आपीड़वान टोपी शिर पर थी। आपीड़से पानी की बूँदें टपक रही थीं, और उसका मुख अत्यन्त उद्विग्न ज्ञात होता था। उसने एक घबड़ाहट भरी दृष्टि से अपनी चारों ओर देखा, और प्रत्येक व्यक्ति को झुक कर प्रणाम किया। उस समज्या के सब लोग क्या लघु क्या महान उसके आस पास एकत्र हो गये, प्रत्येक व्यक्ति प्रश्न करता था और उत्तर की प्रतीक्षा करके उसके आनन की ओर देखता था।

मिमो―"ऐ परमेश्वर! तू रक्षा कीजियो मुझे भय है कि ऐसा न हो।"

काण्टेरोइनों―(क्रोध का दृष्टि से देख कर) 'वस महाशय चुप रहिये भय करने का कोई कारण नहीं है॥'

फ्लोडोआर्डो―(अत्यन्त निर्भयता के साथ) महाशयो! मैं अनुमान करता हूँ कि हमारे महराज ने आप लोगों को इस निमन्त्रण के मुख्य अभिप्राय से अवश्य अभिज्ञ कर दिया होगा। सुतरां अब मैं आप लोगो का असमञ्जस निवारण करने के लिये उपस्थित हुआ हूँ पर पहले महाराज फिर एकबार मेरा समा- धान कर दें और आश्वासन कर दें कि यदि मैं अबिलाइनो को