नियत किया है। कौतुक दर्शक प्रत्येक ओर कतिपय समूह में एकत्रित थे, और उनकी निस्तब्धता का वह समा था जैसा अपराधी की फाँसी की आज्ञा सुनने के समय होता है। रोजाबिला सामान्यतया कामिला के कन्धे पर हाथ रक्खे खड़ी थी। और अपने प्रेमी की वीरता देख कर जोही जी में प्रसन्न थी। परोजी और उसके साथी सबके पीछे खड़े हुये थे और किसी के मुख से श्वास पर्यंत नहीं निकलता था।
फ्लोडोआर्डो―'अच्छा ले' अब आप लोग सावधान हो जायँ क्योंकि अबिलाइनो यहाँ अब तत्काल आकर उपस्थित होगा' कोई महाशय घबरावें नहीं वह किसी की कुछ हानि न करेगा'।
यह कहकर वह उन लोगों के निकट से द्वार की ओर गया और वहाँ पहुँचकर उसने कियतकाल पर्यन्त अपना मुख अपने धृतपरिच्छद द्वारा आवृत किया। इसके उपरांत शिर उठाकर अविलाइनो का नाम लेकर पुकारा उस समय वहाँ जितने लोग विद्यमान थे अबिलाइनो का नाम श्रवण कर थर्रा उठे और उनके शरीर में कम्प का संचार हो गया। रोजाबिला भी भयग्रस्त होकर अपने प्रेमी की ओर कम्पितगात से कतिपय पदक्रम आगे बढ़ी। उसकी यह दशा कुछ अपने संरक्षण के विचार से न थी, बरन वह फ्लोडोआर्डो की जीवन रक्षा के लिये अकुलाई हुई थी। अबिलाइना के न आने पर फ्लोडोआर्डो ने दूसरी वार क्रोधपूरित बाणी से फिर पुकारा और अपना (चुगा) और अपनी टोपी फेंक कर और द्वार कपाट खोलकर बाहर जाने ही को था, कि रोजाबिला चिल्लो कर उसकी ओर दौड़ी किन्तु फ्लोडोआर्डो अन्तर्हित हो गया और उसके स्थान पर अबिलाइनो भोंड़ी और महाभयावनी आकृति से 'हा हा' करता हुआ दृष्टिगोचर हुआ।